साभार: जागरण समाचार
नौ साल पहले कथित 2जी मामला देश के सबसे बड़े घोटाले के रूप में सामने आया था। बृहस्पतिवार को सीबीआइ की विशेष अदालत ने एक झटके में आरोपियों को बरी कर उसे खारिज कर दिया। जांच एजेंसियों की
मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए न्यायमूर्ति ओपी सैनी ने पूर्व संचार मंत्री ए राजा और द्रमुक नेता करुणानिधि की पुत्री और सांसद कनीमोरी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। यह फैसला तब आया है जबकि, चार्जशीट दाखिल होने तक जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट भी कर रहा था। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने स्पेक्ट्रम आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए टेलीकॉम कंपनियों के 122 लाइसेंस भी रद कर दिए थे। इसलिए सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अब इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने की बात कर रहा है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, अदालत को साक्ष्य पूरे दिए गए थे, लेकिन उन पर गौर ही नहीं किया गया।
न्यायाधीश ओपी सैनी ने कहा, ‘मैं सुबूतों के लिए सात वर्षो तक इंतजार करता रहा, लेकिन एक भी नहीं मिला। इसलिए मुङो यह कहने में कोई ङिाझक नहीं है कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर लगाए गए सभी आरोपों को साबित करने में बुरी तरह से विफल रहा है। लिहाजा सभी आरोपियों को बरी किया जाता है।’ न्यायाधीश सैनी 14 मार्च, 2011 से इस मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस तरह भ्रष्टाचार के सीबीआइ के दो और मनी लांडिंग के ईडी के एक मामले से सभी आरोपी मुक्त हो गए।
हाल के वर्षो का यह सबसे बड़ा फैसला इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के सत्ता से जाने में एक बड़ा कारण इस घोटाले को भी माना जाता रहा है। तत्कालीन कैग विनोद राय ने सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया था।
35 लोग थे आरोपी: पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, कनीमोरी के अलावा तत्कालीन सूचना सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्व निजी सचिव आरकेचंदौलिया, स्वैन टेलीकॉम केप्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के शीर्ष कार्यकारी गौतम दोशी, सुरेंद्र पिपारा और हरि नायर समेत इस मामले में 35 आरोपी थे। एस्सार समूह के प्रमोटर रविकांत रुइया व अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रोमोटर आइपी खेतान व किरण खेतान, एस्सार समूह के निदेशक विकास सर्राफ के अलावा लूप टेलीकॉम, लूप मोबाइल (इंडिया) लिमिटेड और एस्सार टेलीहोल्डिंग लिमिटेड भी इस मामले में आरोपी बनाए गए थे।
फैसला सुन रो पड़ीं कनीमोरी: सुबह आठ बजे से ही पटियाला हाउस स्थित सीबीआइ कोर्ट के बाहर ए राजा और कनीमोरी के समर्थकों के साथ ही वकीलों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। भीड़ को देखते हुए करीब साढ़े नौ बजे कोर्ट रूम में लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। 10.03 बजे कोर्ट पहुंचे सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने आरोपियों को लाने के आदेश दिए। आरोपियों के अलावा कोर्ट में सीबीआइ व ईडी के वकील भी मौजूद थे। जस्टिस सैनी के फैसले के बाद अदालत कक्ष नारों से गूंज उठा। कनीमोरी ने हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर न्यायाधीश को धन्यवाद दिया और रो पड़ीं।
तीन मामलों में 2183 पेज का फैसला: तीन अलग-अलग मामलों में 2,183 पेज की ऑर्डर कॉपी के साथ पहुंचे जस्टिस सैनी ने कहा कि जितने भी दस्तावेज कोर्ट के सामने पेश किए गए, उस हिसाब से यह उनका अब तक का सबसे संक्षिप्त फैसला है। इन लोगों के खिलाफ धारा 409 के तहत आपराधिक विश्वासघात और धारा 120बी के तहत आपराधिक षड्यंत्र के आरोप लगाए गए थे।
- खराब नीयत से आरोप लगाए गए थे। यह राजनीतिक प्रोपेगैंडा था। यूपीए-एक के खिलाफ साजिश थी यह। - डॉ.मनमोहन सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री
- कोर्ट ने मेरी जीरो-लॉस थ्योरी पर मुहर लगाई है। राजग ने भी जीरो-लॉस थ्योरी अपनाई थी। पूर्व कैग विनोद राय को देश से माफी मांगनी चाहिए। - कपिल सिब्बल, कांग्रेस नेता
- सरकार को तुरंत हाई कोर्ट में अपील करनी चाहिए। ऐसे ही मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और शशिकला को बरी कर दिया था। लेकिन, इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई थी।- सुब्रमन्यम स्वामी, भाजपा सांसद