साभार: भास्कर समाचार
गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल की ही तरह मेदांता मेडिसिटी अस्पताल के खिलाफ डेंगू पीड़ित बच्चे के इलाज के दौरान लगभग 16 लाख बिल वसूले जाने का मामला सामने आया है। इसके बावजूद बच्चे को बचाया नहीं जा
सका। परिजनों ने शुक्रवार को सदर थाने में शिकायत दी है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। जांच के बाद एफआइआर दर्ज की जाएगी।
मूल रूप से राजस्थान के धौलपुर में हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी गोपेंद्र सिंह परमार के आठ वर्षीय बेटे शौर्य प्रताप सिंह को 25 अक्टूबर की शाम तेज बुखार आया था। उसे धौलपुर जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया। सुधार नहीं होने पर अक्टूबर की रात बच्चे को मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में दाखिल कराया गया। पिता का आरोप है कि इस दौरान उनसे तत्काल 75 हजार रुपये जमा करने को कहा गया, लेकिन उनके पास 50 हजार रुपये ही थे। इतनी राशि जमा करने के बाद बच्चे को सीधे आइसीयू में ले जाया गया। दूसरे दिन कहा गया कि बच्चे के लीवर, किडनी एवं फेफड़ों में दिक्कत है। ब्लड प्रेशर भी जीरो है। डॉक्टरों से पूछा कि कितना खर्च होगा, लेकिन नहीं बताया गया। 15 नवंबर तक डॉक्टर यही कहते रहे कि बच्चा ठीक हो जाएगा। बच्चे के इलाज के लिए मकान को गिरवी रखकर रिश्तेदारों व जानकारों से लाख रुपये उधार लिए। इतनी राशि जमा कराने के बाद 16 नवंबर को कहा गया कि बच्चे की हालत ठीक नहीं है। आप आगे खर्च नहीं उठा सकते इसलिए किसी सरकारी अस्पताल में चले जाओ। मजबूरी में बच्चे को 20 नवंबर की रात दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल ले गए। वहां पर 22 नवंबर को बच्चे की मौत हो गई।
परमार कहते हैं कि बहुत विनती करने पर मेदांता अस्पताल में कुल राशि में से 20 हजार रुपये छोड़े गए। राममनोहर लोहिया अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस भी उपलब्ध नहीं कराई गई। उनके बेटे की मौत इलाज के दौरान लापरवाही बरते जाने से हुई है। इस बारे में मेदांता अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इलाज के दौरान किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं बरती गई थी। बच्चे के पिता ने स्वयं ही कहा था कि वह इलाज के लिए दूसरे अस्पताल में ले जाना चाहते हैं। उन्हें कहा गया था कि बच्चा ठीक हो रहा है लेकिन फिर भी वे नहीं माने।