साभार: जागरण समाचार
पिछली हुड्डा सरकार द्वारा गठित सात और मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा गठित एक नगर निगम में शामिल गांवों को निगमों से बाहर निकाला जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में बुधवार देर रात हुई मंत्री
समूह की बैठक में आठों नगर निगमों से गांवों को बाहर करने पर सहमति बन गई। ऐसे गांवों की संख्या 300 के आसपास है। हालांकि पहले से गठित फरीदाबाद व गुरुग्राम नगर निगमों की व्यवस्था ज्यों की त्यों बरकरार रहेगी।
उल्लेखनीय है कि नगर निगमों में शामिल होने के बाद से इन गांवों में विकास कार्य नहीं हो रहे थे और पंचायतें मारी-मारी फिर रही थीं। अब इन गांवों में फिर से पंचायती राज व्यवस्था लागू होगी, जिसके बाद वहां पूर्व की भांति विकास कार्य हो सकेंगे। इसके लिए बजट पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग जारी करेगा।
मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक में पंचकूला और अंबाला नगर निगम को भंग करने पर भी सहमति बनी। साथ ही इनमें शामिल शहरों को फिर से नगर परिषद अथवा पालिका में तबदील करने का फैसला लिया गया। सरकार ने यह फैसला तब लिया जब शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष स. सुखबीर सिंह बादल ने अंबाला व रोहतक नगर निगमों के चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ने का एलान किया था। अंबाला नगर निगम को भंग कर अंबाला छावनी व शहर नगर परिषद बनाने की मांग स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज पिछले काफी दिनों से कर रहे थे। इस बाबत विज मुख्यमंत्री को कई बार पत्र भी लिख चुके हैं। इसी तरह पंचकूला नगर निगम को भंग कर कालका व पिंजौर को अलग करने की मांग पार्टी विधायक लतिका शर्मा लगातार उठाती रही हैं।
मंत्री समूह की बैठक में अनिल विज की गैर मौजूदगी के बीच अंबाला नगर निगम को तोड़ने पर सहमति बनी। बैठक में कालका और पिंजौर को बाहर करने के बाद पंचकूला नगर निगम को बरकरार रखने का प्रस्ताव भी आया है।
हुड्डा ने सात और मनोहर ने बनाया था एक नगर निगम: पिछली हुड्डा सरकार ने एक साथ सात शहरों पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, करनाल, पानीपत, रोहतक व हिसार में नगर निगम बनाने का एलान किया था। भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद सोनीपत को निगम का दर्जा दिया। इन आठों ही निगमों में पास लगते गांवों को शामिल किया गया। गांवों की संपत्ति भी निगमों के दायरे में आ गई। ऐसे में गांवों में विकास कार्य ठप हो गए। वहीं गुरुग्राम और फरीदाबाद नगर निगम पहले से बने हुए हैं।
जनवरी में नई अधिसूचना जारी होने के आसार: अंबाला-पंचकूला नगर निगम को भंग करने के लिए शहरी निकाय निदेशालय ने अंबाला मंडल आयुक्त को एक दिसंबर को पत्र भेजकर 15 दिसंबर तक रिपोर्ट मांगी थी। आयुक्त ने कमेटी की बैठक बुलाकर अपनी सिफारिश, सुझाव व रिपोर्ट भेज दी है। अब जनवरी 2018 में कभी भी नगर निगमों को भंग किया जा सकता है। पिछले माह 23 नवंबर को अंबाला में सक्षम युवाओं के साथ सीधे संवाद के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दोनों नगर निगमों को भंग किए जाने के संकेत दिए थे।