Friday, December 29, 2017

तीन तलाक के खिलाफ बिल: पीड़ित महिलाएं बोलीं, आज तो ईद से भी बड़ा पर्व

साभार: जागरण समाचार 
लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक बिल पेश होने से इससे पीड़ित महिलाएं बेहद खुश हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए सभी ने एक स्वर में कहा कि आज तो उनके लिए ईद से भी बड़ा पर्व है। पीड़िताओं ने इस
बिल को ऐतिहासिक बताया है। 
लखनऊ की रहने वाली तीन तलाक पीड़िता हुमा कायनात ने कहा कि तीन तलाक के नाम पर डराया जाता है। इस बिल से वह लाभांवित होंगी। घरेलू ¨हसा कानून की तरह अगर तीन तलाक विरोधी कोई कानून बनता है तो थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। आगरा की रहने वाली तीन तलाक पीड़िता फैजा खान ने कहा कि मैं बहुत ही खुश हूं। पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुस्लिम महिलाओं के हित में यह बड़ा कदम उठाया है। आज का दिन हमारे लिए ईद व बकरीद से भी च्जदा महत्वपूर्ण है।
सामाजिक कार्यकर्ता शबनम पांडेय ने कहा कि इस मुद्दे पर बहस इस बात पर नहीं होनी चाहिए कि अन्य धर्मो में भी ऐसी कुरीतियां हैं। अगर दूसरे धर्मो में कुरीतियां हैं तो यह बहाना नहीं बनना चाहिए कि कानून न बने। अगर तीन तलाक के मामले में कानून बनता है तो इसमें किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए।
आखिरी दिन तक बिल का विरोध करेंगे - जिलानी: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना विरोध जताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। बोर्ड के सेक्रेटरी जफरयाब जिलानी ने कहा कि हमें जो कहना था वह कह दिया। अब सरकार जो कर रही है, करने दो। हम आखिरी दिन तक बिल का विरोध करेंगे। बिल का पेश होना या पास होना आखिरी रास्ता नहीं है। इस देश में जम्हूरियत नाम की चीज भी है। सरकार की अपनी पुलिस है। प्रधानमंत्री का अपना एजेंडा है। उनके सामने 2019 का इलेक्शन है। रामपुर में देर से सोकर उठने पर एक महिला को शौहर के तलाक देने के मामले में जिलानी ने कहा कि यह सही है, लेकिन क्या और मजहबों में ऐसा नहीं है।

आधे से अधिक राज्यों ने जरूरी नहीं समझा अपनी राय बताना: तीन तलाक विधेयक लोकसभा में भले ही लंबी बहस के बाद ध्वनिमत से पारित हुआ, लेकिन इसके मसौदे पर रायशुमारी के दौरान आधे से अधिक राज्यों ने केंद्र को इस पर अपनी राय बताना भी जरूरी नहीं समझा। केंद्रीय कानून मंत्रलय की तरफ से सभी राज्यों को भेजे गए इस मसौदे पर केंद्र को सिर्फ 11 राज्यों की ही प्रतिक्रिया मिल पायी। इनमें भी ज्यादातर राज्य ऐसे हैं भाजपा की सरकार है।

कानून मंत्रलय की तरफ से करायी गयी रायशुमारी की इस प्रक्रिया में केवल तमिलनाडु ऐसे राज्य है जिसने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने पर तो सहमति जतायी, लेकिन दोषी को तीन साल की सजा देने के प्रावधान के विरोध में रहा। कानून मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक तमिलनाडु का मानना है किविधेयक से सजा और जुर्माने के प्रावधान को हटाया जा सकता है। साथ ही राज्य ने सुझाव दिया कि शरियत कानून के मुताबिक विवाहित मुस्लिम महिलाओं को मुआवजे की राशि के एकमुश्त भुगतान की व्यवस्था का प्रावधान कानून में होना चाहिए।

सूत्रों ने बताया कि शेष सभी राज्यों ने तीन तलाक के खिलाफ कानून के केंद्र के मसौदे से पूरी सहमति जाहिर की है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड समेत अधिकांश राज्यों ने केंद्र को भेजे अपने पत्र में पूरा समर्थन व्यक्त किया है।

लेकिन शेष राज्यों से केंद्र को किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं मिली। बड़े राज्यों में कांग्रेस शासित पंजाब, कर्नाटक जैसे राज्यों से भी केंद्र को जवाब नहीं मिला।