साभार: भास्कर समाचार
कॉलेजों में बीकॉम के विद्यार्थियों को कॉमर्स विभाग के शिक्षक ही ई-कॉमर्स इकोनॉमिक्स की पढ़ाई कराएंगे। उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में कुरुक्षेत्र विवि बोर्ड ऑफ स्टडीज (कॉमर्स) की जनवरी 2014 में बैठक की
सिफारिशों के आधार पर प्रदेश के सभी कॉलेज प्राचार्यों को यह निर्देश दिए गए हैं, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि बोर्ड ऑफ स्टडीज इस तरह की रिकमंडेशन लागू करने का अधिकार ही नहीं रखता। यह सबकुछ एकेडमिक काउंसिल के स्तर पर तय होता है। बावजूद इसके केयूके बोर्ड ऑफ स्टडीज ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर इन निर्देशों को लागू किया। वहीं, केयूके की रिकमंडेशन को बिना पुख्ता किए ही उच्चतर शिक्षा विभाग ने भी कॉलेजों को निर्देश दे दिए। नतीजतन, प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत इकोनॉमिक्स के नियमित शिक्षक सरप्लस हो रहे है और ट्रांसफर-पदस्थ होने की संभावना बढ़ रही है। वहीं एक्सटेंशन पर कार्यरत प्रदेश के 96 इकोनॉमिक्स लेक्चरर्स की नौकरी भी खतरे में पड़ गई है। गोयाकि कॉलेजों में इकोनॉमिक्स के शिक्षकों का वर्कलोड घट रहा है।
22 को हाईकोर्ट ने लगाया था स्टे: उच्चतर शिक्षा विभाग के फैसले के विरोध में एक्सटेंशन लेक्चरर्स ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। जिसपर हाईकोर्ट ने 22 दिसंबर को स्टे लगा दिया है। मामले में अगली सुनवाई 17 जनवरी को होनी है।
एक्सटेंशन लेक्चर्स 27 को करेंगे मुख्यालय का घेराव: प्रदेश भर के एक्सटेंशन लेक्चर्स 27 दिसंबर को शिक्षा विभाग मुख्यालय का घेराव रोष-प्रदर्शन करेंगे। ऑल हरियाणा एक्सटेंशन लेक्चरर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष ईश्वर सिंह ने कहा कि घेराव-प्रदर्शन के माध्यम से हिन्दी, संस्कृत, कॉमर्स, इकोनॉमिक्स समेत अन्य विषयों के हटाए गए उम्मीदवारों को समायोजित करने की मांग उठाई जाएगी।
एमडीयू-सीडीएलयू में भी यही व्यवस्था: केयूके के अलावा एमडीयू रोहतक, सीडीएलयू सिरसा, जीजेयू हिसार समेत प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों संबद्ध कॉलेजों में कॉमर्स कक्षाओं में इकोनॉमिक्स विषय के वर्कलोड को लेकर यही विवाद है। कॉमर्स टीचर अपना हक जमा रहे है, तो इकोनॉमिक्स के शिक्षक भी खुद को एलिजिबल ठहरा रहे है। हालांकि जीजेयू हिसार में विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर दोबारा विचार कर रहा है।
- मामला विचाराधीन - चेयरपर्सन: बोर्ड ऑफ स्टडीज की जनवरी 2014 की मीटिंग के आधार पर बीकॉम में ई-कॉमर्स और इकोनॉमिक्स विषय को कॉमर्स शिक्षकों को पढ़ाने की रिकमंडेशन एक आरटीआई के जवाब में दी गई है। यही रिपोर्ट उच्चतर शिक्षा विभाग को भी भेजी गई थी, लेकिन अभी विश्वविद्यालय स्तर पर मामला विचाराधीन है कार्यवाही चल रही है। - डॉ. नीलम ढांडा, चेयरपर्सन, कॉमर्स विभाग, केयूके
बीकॉम-एमकॉम में इन विषयों की पढ़ाने को लेकर विवाद: बीकॉम में माइक्रो-इकोनॉमिक, मैक्रो इकोनॉमिक, बिजनेस एनवायरमेंट इंडियन इकोनॉमी, मैनेजिरियल इकोनॉमिक्स, इंटरनेशनल ट्रेड अन्य विषय शामिल है तो एमकॉम में एनर्जीरियल इकोनॉमिक्स, बिजनेस एनवायरमेंट, इंट्रोडक्शन टू बिजनेस इकोनॉमिक्स समेत अन्य संबंधित विषय है, जिनको पढ़ाने के लिए कॉमर्स इकोनॉमिक्स टीचर्स में विवाद है।
कमेटी की रिपोर्ट- विशेषज्ञ ही पढ़ाएं इकोनॉमिक्स: दरअसल,15 मई 2013 को केयूके में हुई कॉमर्स विभाग की मीटिंग में यह रेजुलेशन पास किया गया कि बिजनेस एनवायरमेंट (इंडियन इकोनॉमी) की पढ़ाई कॉमर्स के टीचर ही कराएंगे। इसके बाद 7 जनवरी 2014 की मीटिंग में भी यही फैसला रहा। इसका इकोनॉमिक्स के शिक्षकों ने विरोध किया। उसके बाद वाइस-चांसलर ने डीन ऑफ एकेडमिक अफेयर्स की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की। मई 2015 की कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार बोर्ड ऑफ स्टडीज को कौन शिक्षक क्या विषय पढ़ाएंगे, यह फैसला लेने का अधिकार नहीं है। लिहाजा कॉमर्स कक्षाओं में इकोनॉमिक्स विषय को विशेषज्ञ टीचर्स द्वारा ही पढ़ाया जाए, ताकि विद्यार्थियों को इसका फायदा मिले, लेकिन अब फिर केयूके कॉमर्स विभाग द्वारा एक आरटीआई के जवाब में उच्चतर शिक्षा विभाग को 7 जनवरी 2014 की मीटिंग की सिफारिशें भेज दी गई।