साभार: भास्कर समाचार
रिसर्च बताती है कि जीवन में आने वाली मुसीबतों और परेशानियों के प्रति लोगों का रवैया ही उन्हें बाकियों से अलग खड़ा कर देता है। अब सवाल उठता है कि उनका ये रवैया बनता कैसे है? जवाब है कि इसे खुद ही नियंत्रित
करना पड़ता हैं। जैसे अगर आपके घर की खिड़की साफ रखना आपका काम है, तो आपको खुद ही करना है। लोग केवल आपको प्रोत्साहित कर सकते हैं। ऐसे में आपके पास दो विकल्प बचते हैं- खिड़की को गंदा छोड़ दें या साफ कर दें। गंदे कांच में से बाहर देखेंगे तो खुद ही परेशान रहेंगे लेकिन साफ कांच से देखेंगे तो खुश और संतुष्ट रहेंगे। विलियम शेक्सपियर ने कहा है कि सही-गलत कुछ नहीं होता है। ये चीजों के प्रति केवल हमारा रवैया है। शोध बताते हैं कि हमारा रवैया ही है जो जीवन में हमें आगे बढाता है या पीछे खींच लेता है। अगर आप कठिन परिस्थितियों से घिरें हुए हों लेकिन रवैया सकारात्मक है तो खुश रहकर भी आप हर परिस्थिति से बाहर निकल ही आएंगे। इसके विपरीत, नकारात्मक रवैया आपको निराश और बर्बाद कर सकता है। मशहूर टीवी एंकर, ह्यू डाउन्स कहते हैं कि जो खुश रहता है वो केवल तयशुदा परिस्थितियों में ही खुश नहीं रहता, बल्कि उसका रवैया उसें हर परिस्थिति में खुश ही रखता है। हालांकि ये थोड़ा मुश्किल है। खासकर तब जब विपरीत परिस्थितयां लंबे समय से हावी हों। जरूरी है इस बात को समझना कि आपके जीवन में आखिर चल क्या रहा है। फोकस लगातार आगे बढ़ने का और बेहतर काम करने का ही होना चाहिए। अगर ये लग रहा है कि फिलहाल जीवन में कुछ भी गलत नहीं है तो जो भी सही चल रहा है उस पर फोकस करना शुरु कर देना चाहिए। सकारात्मक रवैया लेकर जीवन जीने से खुद को ज्यादा बेहतर समझ पाते हैं और खराब परिस्थिति में भी खुद को समेट कर तुरंत आगे बढ़ जाते हैं।