साभार: जागरण समाचार
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के बढ़ते दबाव की वजह से कश्मीर में स्थानीय व पाक समर्थित आतंकियों के पांव उखड़ रहे हैं लेकिन देश की सुरक्षा एजेंसियां अब एक नई तरह की चिंताओं से दो-चार हैं। यह चिंता किसी और से
नहीं बल्कि कुख्यात आतंकी संगठन आइएस की तरफ से आई है। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान आइएस ने कश्मीर में अपनी जड़ जमाने और आतंकी गतिविधियों को तेज करने के संकेत देने शुरू किए हैं। आइएस के साथ ही एक अन्य आतंकी संगठन अलकायदा की तरफ से भी इस तरह के वीडियो व सोशल साइट्स पर सूचनाएं दी जा रही हैं जिसमें कश्मीर में ‘जिहाद’ के नाम पर सहयोग मांगा गया है।
आइएस से सीधा संबंध रखने वाली दो एजेंसियों अल करार और निदा-ए-हक ने पिछले दो हफ्तों के दौरान कुछ वीडियो जारी किए हैं जिसमें सीधे तौर पर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को जारी रखने का आह्वान किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस्लामिक एस्टेट ऑफ जम्मू व कश्मीर (आइएसजेके) जिहाद को लेकर अपनी जिम्मेदारी निभाने को तैयार है। यह वीडियो पाकिस्तान के कुछ अहम पत्रकारों को मुहैया करवाया गया है। इसमें एक उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को भी भला-बुरा कहा गया है और इन सभी संगठनों को आइएस के झंडे तले अपनी लड़ाई शुरू करने को कहा गया है। एक वीडियो में कश्मीरी मुसलमानों को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का भी विरोध करने और बड़े पैमाने पर धरना-प्रदर्शन करने को कहा गया है।
कुछ ही दिन पहले इसी तरह का एक अन्य वीडियो भारतीय उप महाद्वीप में अलकायदा (एक्यूआइएस) ने भी जारी किया था। एक वीडियो अलकायदा की तरफ से मंगलवार को भी जारी किया गया। देश की खुफिया एजेंसियां काफी सतर्क हैं और उनकी एक-एक गतिविधियों व सूचनाओं पर नजर रखी जा रही है। लेकिन इनका मानना है कि दुनिया के अधिकांश कोने से भाग रहे ये संगठन कश्मीर के जरिए प्रचार पाने की कोशिश कर रहे हैं।
2015 में पहली बार घाटी में लहराए थे आइएस के झंडे: देश की खुफिया एजेंसियों को समय-समय पर कश्मीर में आइएस व अलकायदा के इरादों को लेकर सूचनाएं मिलती रही हैं लेकिन यह पहला मौका है जब इनकी तरफ से लगातार सार्वजनिक तौर पर संकेत दिए जा रहे हैं। नवंबर, 2017 में जम्मू व कश्मीर पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर को बहुत ही बेरहमी से हत्या की गई थी। बाद में आइएस से जुड़ी एक सोशल मीडिया एजेंसी ने इसका श्रेय लेते हुए कहा था कि उसने कश्मीर घाटी में ऑपरेशन शुरू कर दिया है। इसके पहले कई बार आतंकियों के शव-प्रदर्शन के दौरान आइएस के झंडे या उसके समर्थन वाले बैनर को लहराने वाली घटनाएं भी सामने आई हैं। सबसे पहले वर्ष 2015 में कश्मीर घाटी में आइएस के झंडे लहराए गए थे।
‘प्रोपगेंडा’ युद्ध में एक-दूसरे को पछाड़ने की कोशिश: खुफिया एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि ऐसा लगता है कि दोनों आतंकी संगठन कश्मीर को लेकर एक तरह से ‘प्रोपगेंडा’ युद्ध में एक दूसरे को पछाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह कश्मीर में लगातार पिट रहे आतंकियों को एकजुट करने की पाकिस्तानी कोशिश भी हो सकती है। कश्मीर में आतंकी संगठनों के हौसले दिनों दिन पस्त होते जा रहे हैं। पाक समर्थित आतंकियों को बड़े पैमाने पर मौत के घाट उतारा जा चुका है।