एन. रघुरामन (मैनेजमेंटगुरु)
साभार: भास्कर समाचार
स्टोरी 1: इस हफ्ते महाराष्ट्र के हिल स्टेशन महाबलेश्वर में अपने दोस्त के यहां छुटि्टयां बीता रहे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पड़ोस के होटल में हो रहे विवाह समारोह के दौरान लाउडस्पीकर की ऊंची आवाज से चिढ़ गए
थे। होटल वालों से आवाज कम करने का अनुरोध किया गया लेकिन, उन्होंने अनुरोध मानने से इनकार कर दिया। राज्य के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम से संपर्क कर प्रदूषण नियंत्रण विभाग से नोटिस जारी करवाया गया। होटल की जल बिजली आपूर्ति रोक दी गई अौर सिर्फ 16 दिनों में पूरा होटल बंद कर दिया गया।
स्टोरी 2: चार साल पहले अमित गोडसे ने पुणे स्थित अपने फ्लैट के समीप कीटनाशक की मदद से मधुमक्खी का छत्ता नष्ट करते देखा था। बहुराष्ट्रीय कंपनी कैपजेमिनी के कर्माचारी गोडसे को किसी छत्ते की परवाह करने की कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन, उन्होंने रिसर्च की और छत्ते का रखरखाव सीखने उसी हिल स्टेशन महाबलेश्वर गए। जो सीखा उससे आकर्षित होकर उन्होंने अपना जॉब छोड़ा मधुमक्खी के बारे में जानने के लिए देशभर की यात्रा करने का फैसला किया। उन्हें अहसास हुआ कि यदि धरती से मधुमक्खी गायब हो जाए तो मानव अस्तित्व के लिए सिर्फ चार वर्ष ही शेष रहेंगे। मधुमक्खी होने का मतलब होगा कोई परागण नहीं। परागण नहीं तो नए पौधे नहीं, प्राणी नहीं और आखिर में मानव नहीं। 2016 में अमित ने पुणे में बी बास्केट एंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड स्थापित की जो वर्तमान में पूरे महाराष्ट्र में मधुमक्खी संरक्षण मिशन चलाती है। अब उन्होंने मधुमक्खी के छत्तों को सुरक्षित ढंग से दूसरी जगह ले जाने में विशेषज्ञता हासिल कर ली है।
स्टोरी 3: वे भारत में होटल खोलने की निश्चित योजना के साथ स्विट्जरलैंड के जेनेवा गईं अौर उन्होंने हॉस्पिटलिटी इंडस्ट्री की डिग्री हासिल की। बरसों बाद अम्बिका सेठ की किसानों के साथ संयोगवश मुलाकात हुई। अम्बिका ने उन्हें अच्छे बीज दिए। यह प्रयोग एक प्रोजेक्ट में बदल गया। वे किसानों को ऊंची गुणवत्ता के बीज सप्लाई करने लगीं, जिन्हें वे और उनका परिवार नई दिल्ली के अपने फॉर्म पर पैदा करते थे। इसके बाद उन्होंने और उनके सहयोगियों ने किसानों से ऐसी ऊंची कीमत पर उपज खरीदना शुरू किया, जो कोई बिचौलिया उन्हें नहीं दे सकता था। फिर वे उपज को पैक करके दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रीटेल स्टोर्स को बेचने लगे। अम्बिका की कलिनरी आर्ट्स एंड रिसर्च एकेडमी यूरोप की सब्जियां उपलब्ध कराने में मददगार है और प्रिज़र्वटिव से मुक्त खाद्य पदार्थों की सप्लाई भी करती है। उन्होंने किसानों की आय दोगुनी की है।
स्टोरी 4: वे तब सिर्फ 18 साल के थे, जब उन्होंने एक 12 साल के किशोर को यह कहते सुना, 'हर माह उसे रक्तस्त्राव होता है। उसे अभिशाप है।' बस इतनी सी बात से उन्होंने इंजीनियरिंग में अपना अच्छा भविष्य छोड़ककर कुछ सार्थक काम करने की ठान ली। प्रवीण निकम के संगठन 'रोशनी' में 40 सदस्य हैं जो स्त्री-पुरुषों को समान रूप से मैंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में शिक्षित करते हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने इस 25 वर्षीय युवक को 'ग्लोबल शेपर' घोषित किया है; उन्हें लीड अर्थ फेलोशिप प्राप्त हुई है, नेशनल यूथ अवॉर्ड से नवाज़ा गया है और उन्हें ब्रिटेन की महारानी से चर्चा का मौका मिला। वे टेडएक्सटॉक पर बोलते हैं और दुनिया में हर उस जगह घूमते हैं जहां उन्हें लगता है कि कलंक समझी जाने वाली इस धारणा से लड़ने की जरूरत है। वे पुरुषों की दुनिया के ऐसे पुरुष हैं, जो महिलाओं के बारे में बात करते हैं।
फंडा यह है कि जब आप कमजोर लोगों के लिए लड़ते हैं तो उससे ज्यादा आहत दिलों को राहत देते हैं, जिन्हें आप अनजाने आहत करते हैं।
फंडा यह है कि जब आप कमजोर लोगों के लिए लड़ते हैं तो उससे ज्यादा आहत दिलों को राहत देते हैं, जिन्हें आप अनजाने आहत करते हैं।