साभार: जागरण समाचार
हरियाणा में शहरी निकायों की दुकानों व मकानों पर पिछले 20 साल से काबिज हजारों लोगों को सरकार मालिकाना हक देने जा रही है। हरियाणा मंत्रिमंडल की बुधवार को होने वाली बैठक में 500 रुपये मासिक या
इससे कम किराया दे रहे तमाम लीजधारकों और किरायेदारों को इस प्रापर्टी का मालिकाना हक देने का फैसला लिया जाएगा। लीजधारक और किरायेदार यह प्रापर्टी कलेक्टर रेट का भुगतान कर अपने नाम करा सकेंगे। हालांकि उनको रसीद के जरिए यह प्रूफ देना होगा कि वे वास्तव में 20 साल से इस प्रापर्टी पर काबिज हैं।
शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास भेजा था, जिसे सितंबर माह में मंजूर कर लिया गया था। अब कैबिनेट की बैठक में नगर निगम एक्ट 1994 की धारा 164 (सी) में संशोधन कर संबंधित प्रापर्टी का मालिकाना हक कब्जाधारकों को देने का निर्णय लिया जाएगा।
करीब 20 हजार लोगों को लाभ की उम्मीद: प्रदेश सरकार के इस फैसले से राज्य के 20 हजार से अधिक दुकान व मकान के कब्जाधारकों को फायदा मिलेगा। शहरी निकायों में उन लोगों को प्रापर्टी का मालिकाना हक नहीं मिलेगा, जो दो दशक (20 साल) से कम पुराने किरायेदार अथवा लीजधारक हैं। जिन किरायेदारों व लीजधारकों का किराया 500 रुपये से अधिक यानी एक हजार, दो हजार, तीन हजार, चार हजार या पांच हजार रुपये मासिक है, उन्हें भी लाभ नहीं मिलेगा।