साभार: जागरण समाचार
लखनऊ के जिस मेडिकल कॉलेज के 11 छात्रों का दाखिला पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया, आखिर उनका कसूर क्या था? इन छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर भले ही कोर्ट ने कॉलेज द्वारा इन्हें इनकी फीस
के साथ दस-दस लाख रुपये देने का आदेश दिया हो, लेकिन इन छात्रों के एक साल का जो सत्र बर्बाद हुआ, क्या वह उन्हें कोई वापस दिला सकेगा? शिक्षा को दुकान बना देने वाले ऐसे संस्थान तो जुर्माना और माफीनामा देकर अपना पिंड छुड़ा लेंगे, पर देश में इन जैसे जो असंख्य संस्थान स्टूडेंट्स को बेवकूफ बनाकर अपनी जेबें भर रहे हैं, क्या उन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार और कोर्ट द्वारा कोई कारगर पहल होगी? उक्त मामले में शीर्ष न्यायालय ने हाईकोर्ट पर भी तीखी टिप्पणियां कीं, जिसने रोक के बावजूद कॉलेज को दाखिला करने की अनुमति दे दी थी। शिक्षा की दुकान चलाने वाले ऐसे कथित संस्थानों द्वारा अलग-अलग अदालतों के जरिए अपने पक्ष में फैसला कराने की प्रवृत्ति की भी कोर्ट ने कड़ी निंदा करते हुए उन्हें आगे के लिए सचेत किया।
संदिग्ध संस्थानों पर लगे अंकुश: देशभर से अक्सर गलत तरीके से दाखिले या फर्जी संस्थानों द्वारा कोर्स संचालित करने की खबरें आती रहती हैं। यूजीसी, एआइसीटीई, एमसीआइ आदि द्वारा समय-समय ऐसे संस्थानों के प्रति जागरूक किए जाने के बावजूद अभिभावक और छात्र अपने मनपसंद कोर्स के लिए कई बार इनके चंगुल में फंस जाते हैं। इससे उनका पैसा और समय तो बर्बाद होता ही है, करियर भी अनिश्चित हो जाता है। अपने संपर्को और पैसे के बल पर ऐसे संस्थान निर्बाध रूप से आगे बढ़ रहे हैं। छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ रोकने के लिए केंद्र सरकार/मानव संसाधन विकास मंत्रलय की तरफ से सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि न तो ऐसे संस्थान खुल सकें और न ही गलत तरीके से दाखिले कर सकें।
खुली रखें आंखें: छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए भी यह बेहद जरूरी है कि सपनों की मंजिल पाने की बजाय वे कहीं मुसीबतों के दलदल में न फंस जाएं। इसके लिए एडमिशन लेने से पहले उन्हें अपनी अपनी आंखें खुली रखनी चाहिए। अगर कोई पैसे लेकर दाखिला कराने का दावा करता है, तो उसके चंगुल में फंसने से अच्छा है कि संस्थान और वहां संचालित कोर्स की विश्वसनीयता अच्छी तरह जांच लें। इसके लिए आप संबंधित स्ट्रीम के नियामक से संपर्क कर सकते हैं।
गार्जियंस से गुजारिश: अभिभावकों को भी यह समझना चाहिए कि अगर उनके बच्चे में ‘नीट’ क्लियर करने की काबिलियत नहीं है, तो क्यों मोटा डोनेशन देकर जबर्दस्ती उसका एमबीबीएस में दाखिला कराने के लिए बिचौलियों की मदद ली जाए? क्या ऐसा करके आपका बच्चा एक बेहतर डॉक्टर बनने की राह पर आगे बढ़ पाएगा? या फिर आप भी चाहते हैं कि उसे सिर्फ एमबीबीएस की डिग्री मिल जाए, तो उसे डॉक्टर बनाकर या क्लिनिक/नर्सिग होम खोलकर बीमार लोगों की भावनाओं से खेलकर बेटे के जरिए आप लाखों/करोड़ों पीट लेंगे? क्या आपके जीवन का लक्ष्य सिर्फ अधिक से अधिक पैसा कमाना ही है? अगर आप यही चाहते हैं, तो फिर बाद में पछताइएगा नहीं।
सपने हों अपने: बेटे या बेटी को उसकी प्रतिभा से अलग पढ़ाने/बढ़ाने की बजाय उसके स्वाभाविक टैलेंट को पहचानें। आप यही तो चाहते हैं कि उसका करियर सुखमय हो, आगे उसे कोई तकलीफ न हो, वह अपना और आपका नाम रोशन करे, तो फिर आपसे बेहतर उसके मन को भला और कौन जानेगा? उसे क्यों दूसरों जैसा बनाने की जिद पर आमादा हैं? बच्चे के टैलेंट को समझते हुए क्यों नहीं उसे उसी दिशा में आगे बढ़ाने की जुगत करते? इसमें मुश्किल क्या है। बस आपको अपना मन बनाना है, बच्चा तो पहले से तैयार बैठा है कि कोई उसके मन को तो समङो। एक बार उसे समझ कर उसके टैलेंट की दिशा में बढ़ाने के लिए सहयोग करना शुरू कर दिया, तो फिर चमत्कार खुद आपके सामने होगा।
कोर्स हैं कई: जरूरी नहीं कि आपका बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर या आइएएस ही बने। अगर उसे अपने मन की राह पर बढ़ने का मौका मिले, तो वह तमाम डॉक्टर, इंजीनियर या आइएएस आदि से भी बड़ा काम और नाम करके दिखा सकता है। क्या वह एक्टर, डायरेक्टर, कंपोजर, राइटर, डांसर, म्यूजिशियन, मॉडल, आर्टिस्ट, डिजाइनर, शेफ, टीचर, रिपोर्टर-एंकर, गायक या आज के बदलते जमाने के हिसाब से किसी नए ऑफबीट करियर में नाम और पैसे नहीं कमा सकता? बिल्कुल कमा सकता है। उस पर भरोसा करके देखिए।