Monday, November 27, 2017

सेंसर बोर्ड की महिला सदस्य गीता का सवाल: फिल्मों में हिंदू देवी व देवता ही टारगेट क्यों?

साभार: जागरण समाचार 
संजय लीला भंसाली की फिल्म पदमावती पर सेंसर बोर्ड ने भले ही अभी कोई फैसला न लिया हो, लेकिन बोर्ड की महिला सदस्य गीता सिंह का स्पष्ट मत है कि ऐतिहासिक तथ्यों के साथ खिलवाड़ अनुचित है। भिवानी की
रहने वाली गीता सिंह ने दैनिक जागरण से कहा, अलाउद्दीन खिलजी जैसे क्रूर व्यक्ति का महिमा मंडन ठीक नहीं है। वह इस बात से भी खफा हैं कि पाखंड पर प्रहार के बहाने हिंदुओं के देवी-देवताओं को ही क्यों टारगेट किया जाता है? हिंदू धर्म की अच्छाइयों को क्यों नहीं दिखाया जाता? 
गीता सिंह के मुताबिक फिल्म पद्मावती में खिलजी को अच्छा निशानेबाज भी दिखाया गया है, जबकि वह ऐसा था नहीं। उनका कहना है कि ऐतिहासिक चरित्र को यदि आप दिखाना ही चाहते हैं तो वैसा ही दिखाइए जैसा वह वास्तविक जीवन में था। लोग जो फिल्म में देखेंगे वह सच मानने लगेंगे। सेंसर बोर्ड प्रतिबंध भले न लगाए, आपत्तिजनक कंटेंट तो हटा ही सकता है।
ऐतिहासिक चरित्र के साथ छेड़छाड़ अनुचित: बोर्ड की एक अन्य महिला सदस्य फरीदाबाद की रेणु भाटिया से भी दैनिक जागरण ने फोन पर बात की। भाटिया भी मानती हैं कि पदमावती ऐतिहासिक चरित्र है और उससे छेड़छाड़ अनुचित है। हालांकि फिल्म को प्रतिबंधित किए जाने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि यह फैसला बोर्ड करेगा। फिल्म को कुछ खास लोगों को दिखाए जाने पर रेणु ने कहा कि यह सरासर गलत है। बगैर बोर्ड के पास किए कुछ लोगों को फिल्म दिखाकर संजय लीला भंसाली ने ठीक काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि भंसाली ने पदमावती का प्रिंट बोर्ड के पास भेजा था, कुछ चीजें कम थी और इसलिए प्रिंट वापस भेज दिए गए। अब बोर्ड के सदस्य फिल्म देखने के बाद ही फैसला लेंगे कि क्या करना है?