Tuesday, November 28, 2017

HRMS पर सूचना भरने, तनख्वाह निकलवाने के नाम पर DDO ले रहे पैसे

साभार: जागरण समाचार
शिक्षा विभाग ने दो महीने पहले शिक्षकों को हयुमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम पर डाटा फीड करने के आदेश दिए थे। लेकिन अभी भी करीब 30 फीसदी शिक्षकों का डाटा फीड नहीं हुआ है। स्कूलों में व्यवस्था न होने के
कारण डीडीओ एचआरएमएस पर डाटा फीड करवाने के नाम पर शिक्षकों से 400 से 500 रुपये ले रहे हैं। शिक्षकों पर दबाव बनाया जा रहा है कि अगर डाटा दर्ज नहीं हुआ तो उनका वेतन नहीं निकल पाएगा। विभाग ने शुरूआत के समय भी वेतन पर रोक लगा दी थी, लेकिन बाद में राहत दी थी। लेकिन अब फिर सख्ती कर दी है। जिससे मजबूरी वंश शिक्षकों को डीडीओ को रुपये देने पड़ रहे हैं। शिक्षकों ने रुपये मांगने के मामले में अधिकारियों को शिकायत दी है। शिक्षकों का कहना है कि विभाग के आदेश पर एचआरएमएस पर डाटा फीड करना पड़ रहा है। जिसकी जिम्मेदारी स्कूल के डीडीओ की है। लेकिन डीडीओ को इससे संबंधित जानकारी नहीं है।
सिम यानि की स्कूल इंफोरमेशन मैनेजर की सहायता के लिए डयूटी लगाई गई। लेकिन उनके पास काम का बोझ ज्यादा होने के कारण डीडीओ की सहायता नहीं कर पा रहे। ऐसे में डीडीओ बाहर से काम करवा रहे हैं। इसकी एवज में शिक्षकों से 400 से 500 रुपये लिए जा रहे हैं। शिक्षकों पर दबाव बनाया जा रहा है कि अगर एचआरएमएस पर डाटा फीड नहीं करवाओगे तो वेतन रूक जाएगा। ऐसे में शिक्षक मजबूरी में ये राशि दे रहे हैं। अब तक 30 फीसदी शिक्षकों का एचआरएमएस पर डाटा फीड नहीं हुआ है, इनमें कई जेबीटी हैं। डाटा फीड नहीं हुआ तो नवंबर का वेतन जारी नहीं होगा। 
  • संघ को शिकायत मिल रही है कि डीडीओ एचआरएमएस पर डाटा फीड करने के नाम पर 400 से 500 रुपये ले रहे हैं। वेतन निकलवाने के नाम पर भी 50 से 100 रुपये की वसूली की जा रही है। जो कि गलत है। 22 नवंबर को जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को मांग पत्र भी दिया था। जिसके बाद आश्वासन भी दिया गया। अगर विभाग ने सख्त रवैया नहीं अपनाया तो दोबारा उच्च अधिकारियों को शिकायत दी जाएगी। - विकास टुटेजा, जिला प्रधान, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ फतेहाबाद

तनख्वाह निकलवाने के नाम पर ले रहे 50 से 100 रुपये: शिक्षकों ने डीडीओ पर ये भी आरोप लगाए हैं कि अधिकतर हर माह वेतन निकलवाने के नाम पर 50 से 100 रुपये की वसूली करते हैं। जबकि वेतन निकलवाने की जिम्मेदारी डीडीओ की है। डीडीओ का कहना होता है कि उनके पास बिल बनवाने का बजट नहीं आता है। इसलिए मजबूरी में रुपये लेने पड़ते हैं।