साभार: भास्कर समाचार
राज्यों के शिक्षा बोर्ड रिजल्ट सुधारने के लिए छात्रों के मनचाहे नंबर नहीं बढ़ा पाएंगे। अभी तक कुछ राज्य शिक्षा बोर्ड मॉडरेशन पॉलिसी की आड़ में स्पाइकिंग मार्क्स (ज्यादा अंक) देकर अपना रिजल्ट बढ़ा लेते हैं।
इसके चलते विश्वविद्यालयों की दाखिला कटऑफ भी सौ फीसदी तक चली जाती है। जबकि तकनीकी रूप से मॉडरेशन पॉलिसी के तहत कठिन प्रश्न पत्र आने पर छात्रों को अतिरिक्त राहत अंक दिए जाते हैं।
अब गैरकानूनी तरीके से स्पाइकिंग मार्क्स पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने सभी बोर्डों से तुरंत 'मॉडरेशन पॉलिसी' अपनी-अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है। इससे विश्वविद्यालयों की ऊंची कटऑफ पर लगाम लग सकेगी। छात्रों और परीक्षा से जुड़े शिक्षकों को इसके बारे में जानकारी मिलेगी। स्पाइकिंग रोकने के लिए मंत्रालय की 32 बोर्डों के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं सीबीएसई ने तो सत्र 2018 की परीक्षा मूल्यांकन प्रणाली में स्पाइकिंग को खत्म करने की घोषणा भी की है। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक मौजूदा 60 एजुकेशन बोर्ड में से अधिकांश नतीजों को पिछले साल की तुलना में बेहतर दिखाने के लिए मॉडरेशन पॉलिसी का इस्तेमाल कर अंकों को बढ़ा देते हैं।
स्पाइकिंग का मामला - एक कॉलेज में तमिलनाडु के छात्रों को ही दाखिला: डीयूके एसआरसीसी कॉलेज में एडमिशन के लिए 98 फीसदी से ज्यादा की कट ऑफ जारी हुई थी। इस कट ऑफ पर तमिलनाडु बोर्ड के ही अधिकतर छात्रों ने दाखिला लिया। एक ही गांव और स्कूल के इन छात्रों की इतनी संख्या थी कि पूरा सेक्शन ही इनका बन गया।
स्पाइकिंग का मामला - एक कॉलेज में तमिलनाडु के छात्रों को ही दाखिला: डीयूके एसआरसीसी कॉलेज में एडमिशन के लिए 98 फीसदी से ज्यादा की कट ऑफ जारी हुई थी। इस कट ऑफ पर तमिलनाडु बोर्ड के ही अधिकतर छात्रों ने दाखिला लिया। एक ही गांव और स्कूल के इन छात्रों की इतनी संख्या थी कि पूरा सेक्शन ही इनका बन गया।
स्पाइकिंग क्या है? रिजल्ट को पिछले साल के मुकाबले बेहतर बनाने के लिए बोर्ड छात्रों के अंकों में अपनी मर्जी से अतिरिक्त अंक जोड़ देता है।
क्या अंक बढ़ाने का कोई तय फॉर्मेट है? नहीं। इसे ऐसे समझ सकते हैं- मान लीजिए बोर्ड ने किसी विषय में 90 फीसदी रिजल्ट का पैमाना रखा तो ऐसे में 80 से 90 के बीच अंक लाने वाले छात्रों के 90 अंक कर दिए जाएंगे। ऐसे ही यदि 41 से 55 के बीच अंक पाने वाले छात्रों को 55 अंक देने हैं। तो 41 अंक पाने वाले छात्र को भी 55 मिलेंगे और 50 अंक पाने वाले छात्र को भी।
मॉडरेशन क्या है? कठिन प्रश्न पर मिलने वाले राहत अंकों को मॉडरेशन कहा जाता है यदि किसी पेपर में विषय से बाहर से कोई सवाल पूछा जाता है, या फिर प्रश्न पत्र कठिन हो तो विषय विशेषज्ञों के सुझावों के तहत सभी छात्रों को उस प्रश्न पत्र में अधिकतम 15 फीसदी तक अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं।
मॉडरेशन और स्पाइकिंग में अंतर क्या है? मॉडरेशन विषय एक्सपर्ट की सलाह पर किया जाता है, इसमें वे बताते हैं कि प्रश्नपत्र कठिन था। इसलिए सभी छात्रों को इतने अंकों की राहत दी जाए। जबकि स्पाइकिंग , बोर्ड अपना परीक्षा परिणाम बढ़ाने के लिए करते हैं।
क्या ग्रेस मार्क्स इनसे अलग दिए जाते हैं? हां। इसके तहत 27 अंक से 32 अंक लेने वाले छात्रों को फेल से पास करने के लिए दो से तीन विषय में अधिकतम 7 अंक दिए जा सकते हैं।
क्या मॉडरेशन और स्पाइकिंग दोनों ही गलत हैं? मॉडरेशन को सीबीएसई गलत नहीं मानती। लेकिन इसके तहत मनमाने तरीके से स्पाइकिंग मार्क्स देने पर सवाल उठ रहे हैं।
छात्रों का क्या नुकसान हो रहा है? मनमाने तरीके से नंबर बढ़ने से कमजोर छात्र भी मेधावी छात्रों की बराबरी पर खड़े हो जाते हैं और दूसरे बोर्ड के मेधावी छात्र उनसे पीछे रह जाते हैं और उन्हें दाखिला नहीं मिल पाता।