साभार: भास्कर समाचार
महाराष्ट्र के कोपर्डी (अहमदनगर) दुष्कर्मकांड के तीनों दोषियों को फांसी की सजा दी गई है। विशेष अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया। 13 जुलाई, 2016 को एक 15 वर्षीय किशोरी के साथ हुई इस वीभत्स घटना के बाद
महाराष्ट्र का मराठा समाज आंदोलित हो उठा था। दोषियों को सजा सुनाए जाने के पीड़िता की मां ने कहा कि आखिरकार उन्हें न्याय मिल गया है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी कभी वापस नहीं आएगी, लेकिन न्याय ही उसको सच्ची श्रद्धांजलि है। सत्र न्यायाधीश की विशेष अदालत ने 18 नवंबर को इस कांड के तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया था। सजा पर जिरह के दौरान अभियोजन पक्ष के विशेष वकील उज्ज्वल निकम ने तीनों दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकीलों ने दोषियों को कम सजा देने की मांग की थी। लेकिन, अदालत ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए तीनों दोषियों जीतेंद्र बाबूलाल शिंदे (25), संतोष गोरख भवाल (30) एवं नितिन गोपीनाथ भैलुमे (26) के खिलाफ फांसी की सजा सुनाई। दुष्कर्म कांड के बाद इस मुद्दे के साथ मराठा आरक्षण का मुद्दा जोड़कर मराठा समाज ने साल भर से अधिक समय तक विभिन्न शहरों में जोरदार प्रदर्शन किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने फास्ट ट्रैक विशेष अदालत का गठन किया था। फैसले के बाद निकम ने बताया कि अदालत ने आरोपियों को दुष्कर्म, हत्या, साजिश रचने समेत कुछ अन्य आरोपों में दोषी करार दिया है। आरोपियों को प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉक्सो) के तहत भी दोषी करार दिया गया था। निकम के मुताबिक, मुख्य अभियुक्त शिंदे ने किशोरी साथ दुष्कर्म के बाद निर्दयतापूर्वक उसकी हत्या कर दी थी, जबकि अन्य दो आरोपियों भवाल एवं भैलुमे ने साजिश में शिंदे का न सिर्फ साथ दिया, बल्कि उसे ऐसा करने के लिए उकसाया और प्रोत्साहित किया था।