Wednesday, November 29, 2017

अम्बाला में मनरेगा घोटाले का मामला: हाईपावर कमेटी से 2 सप्ताह में मुख्य सचिव ने मांगी रिपोर्ट

साभार: भास्कर समाचार
अम्बाला के मनरेगा घोटाले के तथ्यों का विश्लेषण करने के लिए बनी आईएएस अधिकारियों की हाईपावर कमेटी ने अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। अब मुख्य सचिव डी.एस. ढेसी ने कमेटी से दो सप्ताह में रिपोर्ट देने
को कहा है ताकि लोकायुक्त को मामले के वास्तविक तथ्यों से अवगत कराया जा सके। इस कमेटी को अपनी रिपोर्ट नवंबर में ही देनी थी। इस बीच, आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने कहा है कि लोकायुक्त के आदेश के बावजूद आरोपी 4 आईएएस अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। 
कपूर के मुताबिक अंबाला में हुए मनरेगा घोटाले के मामले में पिछले दिनों लोकायुक्त ने आरोपी 4 आईएएस अफसरों पर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए थे। सरकार ने एफआईआर दर्ज कराने से पहले तथ्यों का एक बार विश्लेषण करने के लिए हाईपावर कमेटी बनाई थी। इसमें आबकारी एवं कराधान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल, पंचायत एवं विकास विभाग की तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव नवराज संधू, तत्कालीन डीजी (विजिलेंस) परमिंदर राय और एडवोकेट जनरल बलदेवराज महाजन को शामिल किया गया था। लेकिन डीजी विजिलेंस ने यह कहते हुए कमेटी से अपने आपको अलग करने का सरकार से आग्रह किया था कि वे इस घोटाले में आरोपी चारों आईएएस अफसरों के बारे में अपने विचार पहले ही व्यक्त कर चुके हैं। इसके बाद सरकार ने उनकी जगह मौजूदा डीजी (विजिलेंस) पी. आर. देव को इस कमेटी में शामिल किया था। 
कपूर के मुताबिक स्टेट विजिलेंस ब्यूरो इस मामले की विस्तृत जांच करके 16 नवंबर, 2012 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप चुका है। इस रिपोर्ट में अंबाला में तैनात रहे सभी तत्कालीन जिला उपायुक्त और अतिरिक्त उपायुक्त की भूमिका का विस्तृत वर्णन किया गया है। पिछली कांग्रेस सरकार ने 1 मार्च, 2013 को कुछ बिंदुओं पर विजिलेंस ब्यूरो से स्पष्टीकरण मांगा था। वह भी सरकार को मिल चुका है। यहां तक इस मामले से संबंधित एफआईआर नंबर 01/2015 में 28 जून, 2016 को वन विभाग के कई अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में चालान भी पेश किया जा चुका है। लेकिन आईएएस अफसरों पर कार्रवाई करने से सरकार बच रही है। लोकायुक्त ने गत 26 मई, 2017 को इन आरोपी आईएएस अफसरों पर भी एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए थे। इस पर सरकार ने 30 जून, 2017 को तथ्यों के विश्लेषण के लिए चार अफसरों की एक कमेटी बना दी थी।