साभार: भास्कर समाचार
सरकार सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए लगातार अभियान चलाए हुए हैं। इधर सरकारी स्कूलों में सोलर लाइट पर अलग ही खेल हो रहा है। वह भी तब जब सीएम ने खुद इस प्रोजेक्ट को तैयार कर सभी सरकारी
स्कूलों में अपनाने पर जोर दिया था। योजना थी कि सरकारी स्कूलों में सौर उर्जा को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए एक साल से तैयारी चल रही है। प्रोजेक्ट तैयार किया गया। जिससे प्रदेश के सभी स्कूलों में सोलर सिस्टम लगाया जाए। इसके लिए उत्कर्ष सोसाइटी ने पहले चरण के लिए 235 करोड़ रुपए का एक प्रोजेक्ट बना कर सरकार को भेजा। लेकिन वित्त विभाग ने इस प्रोजेक्ट के लिए मात्र 10 करोड़ रुपए ही जारी किए। सोसायटी के अधिकारी अब यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि इतने कम बजट में वे आखिर करें तो क्या? कम बजट को देखते हुए अभी तक सोसायटी ने पैसा भी ट्रेजरी से निकलवाया नहीं है। 10 दिन पहले ही शिक्षा विभाग की वर्क मैनेजमेंट ब्रांच के बजट अलॉट होने का पत्र पहुंचा है।
14 हजार स्कूलों में लगाया जाना है सोलर सिस्टम: सरकार की योजना है कि सौर उर्जा को बढ़ावा दिया जाए। स्कूलों में इस सिस्टम से बिजली की खासी बचत होगी। इसलिए करीब 14 हजार सीनियर, हाई और प्राइमरी स्कूलों को इसमें शामिल किया गया था। इसी को ध्यान में रख कर उत्कर्ष सोसाइटी ने हरेडा के एस्टीमेट पर कुल 420 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाया था। पहले चरण के लिए करीब 235 करोड़ रुपए मांगे गए थे सोसायटी अब एक बार फिर से सारा मामला सीएम के समाने रखने जा रही है।
पिछले साल प्राइमरी स्कूलों में एजुसेट सिस्टम को चलाने के लिए हाइब्रिड सोलर सिस्टम लगाने की योजना थी। इस पर 12 करोड़ रुपए खर्च आने थे। जब इस प्रोजेक्ट को सीएम मनोहर लाल के सामने रखा गया तो उन्हें बहुत पसंद आया। उन्होंने सलाह दी कि क्यों सभी सरकारी स्कूलों को सोलर पर कर दिया जाए। इसके लिए सोसायटी को नोडल एजेंसी बनाया गया। नोडल एजेंसी की जिम्मेदारी मिलते ही सोसायटी ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया। पहले चरण में 3022 सीनियर और हाई स्कूलों को कवर करने के लिए 235 करोड़ रुपए का बजट मांगा गया।
पिछले साल प्राइमरी स्कूलों में एजुसेट सिस्टम को चलाने के लिए हाइब्रिड सोलर सिस्टम लगाने की योजना थी। इस पर 12 करोड़ रुपए खर्च आने थे। जब इस प्रोजेक्ट को सीएम मनोहर लाल के सामने रखा गया तो उन्हें बहुत पसंद आया। उन्होंने सलाह दी कि क्यों सभी सरकारी स्कूलों को सोलर पर कर दिया जाए। इसके लिए सोसायटी को नोडल एजेंसी बनाया गया। नोडल एजेंसी की जिम्मेदारी मिलते ही सोसायटी ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया। पहले चरण में 3022 सीनियर और हाई स्कूलों को कवर करने के लिए 235 करोड़ रुपए का बजट मांगा गया।