साभार: जागरण समाचार
ब्रह्मसरोवर के पवित्र तट पर शनिवार को मंत्रोच्चारण के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ किया। उन्होंने ब्रह्मसरोवर के पवित्र जल का आचमन कर नौ कुंडीय हवन में
पूर्णाहुति डालकर महोत्सव की विधिवत रूप से शुरुआत की। यह पहली बार था जब किसी राष्ट्रपति ने गीता जयंती में शिरकत की।
निर्धारित कार्यक्रम के 45 मिनट की देरी से दोपहर बाद सवा एक बजे राष्ट्रपति ब्रह्मसरोवर पर पहुंचे। उन्होंने महोत्सव की शुरुआत के बाद श्रीकृष्णा सर्किट के तहत विकसित की जाने वाली गीता स्थली ज्योतिसर के मॉडल का अवलोकन किया। उन्होंने सरस्वती नदी के माडॅल का अवलोकन किया और सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सरस्वती नदी के विकास को लेकर राष्ट्रपति को बारीकी से जानकारी दी।
राष्ट्रपति ने सरस्वती परियोजना के मॉडल को देखने के बाद सरस्वती पर किए गए शोध कार्यो और इतिहास को लेकर लगाई गई प्रदर्शनी भी देखी। इसके बाद वे स्वामी ज्ञानानंद के गीता संस्थानम गए, जहां उन्होंने पुस्तकालय की आधारशिला रखी। इसके उपरांत वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में पहुंचे जहां, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी में अपना संबोधन दिया। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान हरियाणा की बेटियों की जमकर तारीफ की।
उन्होंने कहा कि हरियाणा की बेटियां राजनीति, खेल, विज्ञान व सौंदर्य के क्षेत्र में विश्व में नाम कर रही हैं। इससे पहले कुरुक्षेत्र पहुंचने पर राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, हिमाचल के राज्यपाल आचार्य डॉ. देवव्रत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने परंपरा अनुसार स्वागत किया।
राष्ट्रपति ने देखी अपने गांव परोख के वंशजों की पोथी: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पहली बार धर्मनगरी पहुंचे तो श्रीब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के तीर्थ पंडित ने उन्हें उनके गांव परोख (कानपुर, उत्तरप्रदेश) के वंशजों के नाम अपनी पोथी में दिखाए। हालांकि राष्ट्रपति के परिजनों के नाम उसमें दर्ज नहीं मिले, लेकिन बहुत से लोगों के नाम को परिचित जरूरत बताया। राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद ने ब्रह्मसरोवर तीर्थ में अध्र्य दिया। वहीं यशेंद्र शर्मा व पंडित बृज मोहन शर्मा राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद को वंशजों का लेखा-जोखा दिखाने के लिए पोथी समेत पहुंचे। यहां उन्होंने राष्ट्रपति के पुश्तैनी गांव परोख के लोगों के नाम अपनी पोथी में दिखाए।