Monday, November 27, 2017

GJU पर्यावरण विषय की स्वयं लेगा परीक्षा, विद्यार्थियों के अंक भी जुड़ेंगे

साभार: जागरण समाचार 
हरियाणा और पंजाब ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली सहित तमाम राज्य भी हाल ही में पराली व अन्य कारणों से फैले प्रदूषण के कारण हांफ रहे थे। हर कोई पर्यावरण बचाने की सीख देता नजर आ रहा था। प्रदूषण को लेकर
सरकारें भी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रही थीं। लेकिन अधिकांश राज्यों और वहां की सरकारों ने पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले 27 सालों से समय-समय पर दिए जा रहे आदेश तक नहीं माने। इन आदेशों में सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों और अन्य संस्थानों में अनिवार्य रूप से पर्यावरण विषय पढ़ाने की बात कही थी। गुजवि ने अब संबद्ध कालेजों को पर्यावरण विषय पढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं।
1991 में पहली बार दिए थे आदेश: पर्यावरण प्रेमी एवं 2004 में एमएससी की पढ़ाई पूरी कर चुके डा. नरेश भारद्वाज बताया कि पर्यावरण को बचाना है तो उसे शिक्षा में शामिल करना जरूरी है। इसके लिए ग्रेजुएशन में सभी विषयों के साथ पर्यावरण विषय को पढ़ाना जरूरी है। पर्यावरणविद एवं पदमश्री अवार्ड से सम्मानित एससी एमसी मेहता ने पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप को देखते हुए सन 1991 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिक दाखिल की थी।
प्रदेश में चार हजार हैं योग्य: पर्यावरण विषय पढ़ाने वाले अध्यापकों के लिए एमएससी, पीएचडी या नेट पास होना जरूरी है। प्रदेश में 10 से अधिक ऐसे संस्थान हैं जहां पर्यावरण विभाग में एमएमसी व एमटेक करवाई जाती है। इन संस्थानों में से 4 हजार से अधिक विद्यार्थी पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुके हैं। यही नहीं बड़ी संख्या में छात्रों ने पीएचडी व नेट भी क्वालिफाई किया है।
विद्यार्थियों के अंक भी जुड़ेंगे: जिले के सभी कालेज पहली बार गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय से जुड़े हैं। जीजेयू ने सभी कालेजों में एक वर्ष का पर्यावरण का सिलेबस पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है और यूजीसी की गाइडलाइंस के मुताबिक सिलेबस पढ़ाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन कालेजों के पास पर्यावरण की कोई फैकल्टी नहीं है।