Monday, November 27, 2017

235 में 125 दिन सरकारी कार्यक्रमों में बीते, 35 रविवार, 22 धार्मिक अवकाश, बचे हुए 87 दिनों में बेहतर रिजल्ट की उम्मीद में सरकार

साभार: भास्कर समाचार
हरियाणा में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, मगर सरकारी कार्यक्रम बच्चों की पढ़ाई को उतना ही बाधित कर रहे हैं। शिक्षा के मौजूदा सत्र के 235 दिन बीत चुके हैं। एक अप्रैल से शुरू होकर
21 नवंबर तक इस सत्र के 125 दिन सरकारी कार्यक्रमों में बीते हैं। इनके अलावा 35 रविवार 22 धार्मिक पर्वों के भी अवकाश रहे हैं। इन 57 दिनोें की छुट्टियां और 125 दिन सरकारी कार्यक्रमों में बीत जाने के कारण 182 दिनों तक सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के दिन खाली ही बीते हैं। ऐेसे में विद्यार्थियों के पास 87 दिन ही पढ़ाई के बचे हैं। इन दिनों में भी कभी बच्चों का रिकॉर्ड ऑनलाइन करने और कभी जागरूकता रैलियों में लगे हैं। इस तरह पढ़ाई के लिए बचे इन 87 दिनों में ही शिक्षा विभाग सरकार बेहतर परीक्षा परिणाम की उम्मीद लगाए बैठे हैं। 
एक अप्रैलसे सत्र शुरू होने से 21 नवंबर तक चल चुके हैं 5 सरकारी कार्यक्रम: 

  • सत्र शुरू होने के साथ ही अब तक स्कूल स्तर से जिलास्तर तक गीता जयंती उत्सव को लेकर प्रतियोगिताएं 
  • लर्निंग इनहांसमेंट प्रोग्राम लर्निंग आउटकम प्रोग्राम में जुलाई का आधा महीना निकला। 
  • सितंबर दीन दयाल उपाध्याय से संबंधित कार्यक्रमों में बीता। 
  • स्कूल मानक एवं मूल्यांकन शाला सिद्धि कार्यक्रम के तहत सभी गवर्नमेंट स्कूलों के टीचरों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रदेश में 4 जगहों पर हुई कार्यशालाओं में 6 हजार शिक्षक शामिल किए गए। इसमें जनवरी बीत गई। 
  • हर महीने के तीसरे शनिवार को रोल मॉडल कार्यक्रम। 
  • योग दिवस में एक जून से 21 जून तक बीता दिया। 
  • स्कूल से स्टेट लेवल तक स्वर्ण जयंती उत्सव 25 दिन। 
  • रोड सेफ्टी में 15 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक दिन बीते। 
  • 15 से 30 नवंबर तक बीएलओ सुपरवाइजर में शिक्षकों की ड्यूटी। 
  • इनके अलावा स्वच्छता, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, महिला सशक्तिकरण, मतदाता जागरूकता अन्य कार्यक्रमों के लिए भी सरकारी स्कूलों के बच्चों की ही रैलियां निकाली जाती है। 

शिक्षा के अलावा अन्य कार्यों पर जोरसरकार विद्यार्थियों को विद्यार्थी और शिक्षकों को शिक्षक ही रहने दें। सरकार ने विद्यार्थियों को अपने कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार का माध्यम बना लिया है। इसके अलावा शिक्षकों की ड्यूटियां नॉन-टीचिंग कार्यों में बहुत लगती हैं। जिस समय 2016-17 के सत्र के परीक्षा परिणाम आए थे, उन दिनों में सरकार ने खुद घोषणा की थी कि तो शिक्षकों से कोई नॉन-टीचिंग कार्य कराएं जाएंगे और ही विद्यार्थियों को शिक्षा के अलावा अन्य कार्यों में लगाएंगे। अपनी ही घोषणाएं भूलकर शिक्षा के अलावा अन्य कार्यों पर पूरा जोर दिया जा रहा है। - दीपक गोस्वामी, महासचिव, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ, हरियाणा। 
  • सरकार शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए ही आए दिन नए-नए सुधार लेकर रही है। शिक्षा के साथ-साथ खेल सांस्कृतिक कार्यक्रम भी जरूरी होते हैं। ये भी शिक्षा का ही हिस्सा हैं। जैसे निर्देश मिलते हैं, ऐसे ही कार्य कराएं जा रहे हैं। - उदयप्रताप सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी, पानीपत। 
  • बच्चों को सिलेबस पूरा होने की चिंता भी सता रही है। कभी टीचर ताे कभी हम सरकार की योजनाओं के प्रचार में लगे रहते हैं। माता-पिता उम्मीद के साथ स्कूल में भेजते हैं कि हमारे बच्चे पढ़ने गए हैं, लेकिन स्कूल में पढ़ाई से ज्यादा अन्य कामों का बोझ बढ़ गया है। - सोनू,10वीं छात्र।