साभार: भास्कर समाचार
सरकारी बैंक बंद करने की खबरों को रिजर्व बैंक और सरकार दोनों ने अफवाह बताया है। ज्यादा एनपीए वाले सरकारी बैंकों की हालत सुधारने के लिए आरबीआई ने 'प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन' (पीसीए) कार्रवाई शुरू की है।
इसी के बाद यह अफवाह फैली कि सरकार कुछ बैंकों को बंद करना चाहती है। पीसीए में बैंक के कामकाज पर विशेष नजर रखी जाती है, ताकि उसकी एसेट क्वालिटी को बिगड़ने से रोका जा सके। इसी हफ्ते आरबीआई ने बैंक ऑफ इंडिया के लिए पीसीए कार्रवाई शुरू की है। इससे पहले हाल ही वह आईडीबीआई, इंडियन ओवरसीज और यूको बैंक में ऐसा कर चुका है। सरकार की तरफ से वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने ट्वीट किया कि किसी भी बैंक को बंद करने का सवाल ही नहीं उठता। इनमें 2.11 लाख करोड़ रुपए निवेश की योजना है। रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि सोशल और मेनस्ट्रीम मीडिया में इस बारे में जो भी खबरें चल रही हैं, वे अफवाह हैं।
एनपीए में वृद्धि के लिए मर्चेंट बैंक भी जिम्मेदार: बैंकों के बढ़ते एनपीए के लिए रिजर्व बैंक ने मर्चेंट बैंकों को भी जिम्मेदार ठहराया है। मर्चेंट बैंक कर्ज और शेयर में निवेश के जरिए कंपनियों को पैसे मुहैया कराते हैं। ये कंपनियों को सलाह भी देते हैं। आरबीआई का कहना है कि हितों में टकराव की वजह से ये प्रोजेक्ट का गलत अप्रेजल कर देते हैं। इससे उस प्रोजेक्ट को दिया गया कर्ज बाद में एनपीए बन जाता है। रिजर्व बैंक ने अप्रैल-सितंबर के लिए जारी फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट में यह बात कही है।