साभार: भास्कर समाचार
पिछड़ा वर्ग आयोग ने अब राज्य सरकार से हरियाणा की जातिगत जनसंख्या के आंकड़े भी मांगे हैं, ताकि यह साफ हो सके कि सरकारी नौकरियों में आबादी के मुताबिक सभी वर्गों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं। देश में
जातिगत जनगणना 2011 में हुई थी, लेकिन आंकड़े सार्वजनिक नहीं हुए हैं। आयोग के चेयरमैन जस्टिस एसएन अग्रवाल ने बताया कि सरकार द्वारा दिए आंकड़ों को ही सही मानकर कार्यवाही आगे बढ़ाई जाएगी। आंकड़ों को लेकर शिकायत आई तो विचार किया जा सकता है। आयोग ने सरकार को उन सभी कर्मचारियों के जातिगत आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा था, जो किसी विभाग, बोर्ड, कॉरपोरेशन, आयोग, विश्वविद्यालय और ऐसी संस्था या प्रोजेक्ट में काम करते हैं, जिन्हें सरकारी खजाने से वेतन मिलता है। अब राज्यभर में नई बहस छिड़ी है कि आउटसोर्सिंग, कांट्रेक्ट, वर्कचार्ज या एडहॉक के कर्मचारियों के आंकड़े जातिगत प्रतिनिधित्व में शामिल होने चाहिए या नहीं। 97 हजार कर्मियों के डाटा को लेकर सवाल: सरकार ने आयोग को 2 लाख 41 हजार 937 अधिकारियों-कर्मचारियों के जातिगत आंकड़े 14 दिसंबर 2017 को उपलब्ध कराए हैं। जबकि आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग की ओर से आरटीआई में दी जानकारी के मुताबिक राज्य में 31 मार्च 2016 तक सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की संख्या 3 लाख 38 हजार 921 थी। आरटीआई की सूचना जून में ही ली गई है। इससे पहले 31 मार्च 2014 को भी राज्य में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या विभाग द्वारा 3 लाख 40 हजार 698 बताई गई थी।