साभार: भास्कर समाचार
रेयान इंटरनेशनल स्कूल में दूसरी कक्षा के छात्र प्रद्मुम्न ठाकुर की हत्या के मामले में आरोपी छात्र पर अब बालिग की तरह मुकदमा चलेगा। हालांकि उसे उम्रकैद या फांसी की सजा नहीं होगी। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने
बुधवार को आरोपी को बालिग मानने का फैसला सुनाते हुए केस गुड़गांव के सेशन कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। वहां अब 22 दिसंबर को सुनवाई होगी। नाबालिग आरोपी को भी वहां पेश किया जाएगा। प्रद्युम्न के पिता वरुण ठाकुर ने इस फैसले को अपनी पहली जीत बताया। वहीं, आरोपी के परिवार वालों ने कहा कि वो इसे सेशन कोर्ट में चुनौती देंगे। 8 सितंबर को प्रद्मुम्न की हत्या किए जाने के बाद सीबीआई ने स्कूल के ही 11वीं के छात्र को गिरफ्तार किया था। एजेंसी और प्रद्युम्न के पिता ने उस पर बालिग की तरह केस चलाने के लिए याचिका दाखिल की थी। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 15 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। नए कानून के मुताबिक जुवेनाइल को वयस्क के दायरे में रखने के बाद भी उसे उम्रकैद एवं फांसी की सजा नहीं दी जा सकेगी। अभी आरोपी छात्र की उम्र 16 साल 5 महीने है। प्रद्युम्न के पिता के वकील सुशील टेकरीवाल के अनुसार 21 साल की उम्र पूरी करने तक वह बाल सुधार गृह में रहेगा। इसके बाद जेल भेज दिया जाएगा। आरोप साबित होने पर 8 साल से 10 साल या उससे अधिक सजा हो सकती है। इस दौरान बाल सुधार गृह में उसके सामाजिक व्यवहार का अध्ययन किया जाता रहेगा।
सेशन कोर्ट में ट्रांसफर किया केस, अगली सुनवाई 22 को: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने एक कमेटी बनाकर आरोपी की सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक रिपोर्ट तैयार कराई। आरोपी छात्र पर बालिग की तरह केस चलाने के फैसले का अाधार यही रिपोर्ट बनी। रिपोर्ट में बताया गया कि वह हायपर एग्रेसिव है। वह हत्या के अपने कृत्य को जानने-समझने के लिए मैच्योर हो चुका है। इसके अलावा वारदात की जघन्यता या बर्बरता भी मुख्य कारण रही।