साभार: जागरण समाचार
बाहरी दिल्ली के रोहिणी विजय विहार स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के आश्रम में आध्यात्मिक शिक्षा देने के नाम पर किशोरी व युवतियों के साथ यौन शोषण किए जाने का मामला सामने आया है। आरोप है कि
किशोरी व युवतियों को भ्रमित कर उनका यौन शोषण किया जाता था। यौन शोषण का आरोप आश्रम के प्रमुख वीरेंद्र दीक्षित पर भी है। दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट की टीम ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर विश्वविद्यालय में छापेमारी की। हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को विशेष जांच दल गठित कर जांच का आदेश दिया है साथ ही आश्रम में लड़कियों के साथ कथित दुष्कर्म और आत्महत्या में दर्ज सभी मामलों से जुड़े दस्तावेज जब्त करने का निर्देश दिया है। इससे पहले मंगलवार को भी हाई कोर्ट द्वारा गठित स्पेशल टीम जांच करने आश्रम गई थी लेकिन वहां के कर्मचारियों ने उन्हें एक घंटे तक बंधक बनाकर मारपीट की थी। बुधवार को पुलिस के साथ पहुंची हाई कोर्ट की टीम ने एक दर्जन से अधिक लड़कियों को आश्रम से सुरक्षित निकाला और आश्रम से जुड़े दो लोगों को हिरासत में लिया है। चार घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस आश्रम का सिर्फ तीस फीसद हिस्से की ही छानबीन कर पाई। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिन्द की टीम ने भी छापेमारी की। उनके साथ भी आश्रम के कर्मचारियों ने बुरा व्यवहार किया। स्पेशल टीम ने हाईकोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय में 100 से ज्यादा लड़कियां थीं और उनमें से कई नाबालिग हैं। कोर्ट ने कहा कि यह मामला भी राम रहीम जैसा हो सकता है, इसलिए तुरंत छापा मारकर कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि नाबालिग लड़कियों को तुरंत वहां से मुक्त किया जा सके। किशोरी व युवतियों के परिजनों का आरोप है कि उन्हें युवतियों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। राजस्थान निवासी एक युवती के परिजन व एक गैर सरकारी संस्था ने भी उक्त मसले पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये आदेश दिए हैं। एक पीड़ित युवती ने कोर्ट से कहा कि आश्रम में नाबालिगों को भ्रमित कर उनका यौन शोषण करते हैं। दाखिल बयान में कहा गया है कि दो महीने के कोर्स के लिए उसने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था, लेकिन इस दौरान उसके साथ यौन शोषण किया गया।
आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम पर रोहिणी स्थित आश्रम में महिलाओं व नाबालिग लड़कियों को बंधक बनाए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को जांच के आदेश दिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने सीबीआइ निदेशक को विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित कर मामले में दुष्कर्म की धारा में एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए। ज्ञात हो कि हाई कोर्ट द्वारा गठित पैनल ने आरोप लगाया कि लड़कियों को आश्रम में जानवर की तरह लोहे की सलाखों के पीछे रखा गया था। कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई कि दंपती ने मामले में पुलिस से दुष्कर्म की शिकायत भी की थी, लेकिन पुलिस ने अब तक रिपोर्ट दर्ज नहीं की है।