साभार: भास्कर समाचार
यमुनानगर जिले के बिलासपुर में हर साल लगने वाले दो दिवसीय कपाल मोचन मेले में प्रदेश के शिक्षकों को प्रसाद वितरण और पुजारी का काम सौंपा गया है। कुछ शिक्षकों के विरोध के बाद यह मामला तूल पकड़ गया है
और इस पर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस के रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्य की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने इसे शिक्षकों का दुरुपयोग बताया है। उनका कहना है कि शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य के अलावा इस तरह के काम में नहीं लगाया जाना चाहिए था। वहीं, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस मामले में सफाई दी है कि राज्य सरकार की ओर से इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। हो सकता है स्थानीय प्रशासन के स्तर पर ही ऐसा कोई आदेश जारी हुआ हो। उल्लेखनीय है कि यमुना नगर के बिलासपुर में हर साल कपाल मोचन मेला लगता है। इसमें व्यवस्थाओं को संभालने के लिए अनेक सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई जाती है। इसके लिए ट्रेनिंग में नहीं पहुंचने वाले कुछ अध्यापकों को लेकर प्रशासन की ओर से शिक्षा विभाग को ऐसे टीचरों पर कार्यवाही करने के लिए लिखा गया था। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जब टीचरों को मेला ड्यूटी में भेजने के लिए सख्ती की तो कुछ टीचर नाराज हो गए। अध्यापक संघ के पदाधिकारी जयदेव आर्य ने कहा कि यह एक तुगलकी फरमान है और हम इसका विरोध करेंगे। शिक्षकों का काम पुजारी बनने का नहीं है। इधर, शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. के. के. खंडेलवाल ने बताया कि विभाग की ओर से कपाल मोचन मेले में ड्यूटी लगाने संबंधी कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। अगर, कोई शिक्षक स्वेच्छा से मेले में जाकर ड्यूटी करना चाहता है तो उसे यह छूट मिल जाती है।
इस बीच हरियाणा भाजपा में मीडिया विभाग के चेयरमैन राजीव जैन इस मामले को लेकर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा और पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल पर पलटवार किया है। उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा कि कांग्रेस के लोग अपनी ही शुरू की हुई परंपरा को भाजपा पर थोपकर अपनी कारगुजारियों से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। दरअसल, कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने ही मेला संचालन के लिए वर्ष 2010 में बद्री श्राइन बोर्ड का गठन किया था। तभी से विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की मेले में व्यवस्थाएं संभालने के लिए ड्यूटियां लगती रही हैं। वर्ष 2013 में भी 130 शिक्षकों की मेले में ड्यूटी लगी थी। तब से यह सिलसिला चला रहा है। भाजपा सरकार ने तो शिक्षक और शिक्षा के महत्व को देखते हुए मेले में ड्यूटी करने वाले शिक्षकों की संख्या 130 से घटाकर 100 की है। चूंकि इस मेले में देशभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। इसलिए मेला प्रबंधन सरकारी कर्मियों की प्रसाद वितरण और कार्यालय संबंधी कार्यों में ड्यूटी लगाता है। इस बार भी किसी शिक्षक को पुजारी का काम नहीं सौंपा गया है। लेकिन, जबरदस्त गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस हर मामले में राजनीति कर रही है।