Wednesday, February 24, 2016

आंदोलन की आड़ में जलाया घोटाले का रिकॉर्ड

जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दादरी नगर के पुराने बस स्टैंड स्थित खंड पंचायत एवं विकास अधिकारी, बीडीपीओ के दफ्तर के रिकार्ड रूम में शनिवार रात्रि को अलमारी खोलकर जरूरी फाइलों को जलाने को कई प्रकार के सवाल उठाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कुछ पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों ने विभिन्न प्रकार की
अनियमितताओं, घोटालों में चल रही अपनी जांच के रिकॉर्ड को खत्म करने के लिए आरक्षण आंदोलन के बहाने इस घटना को अंजाम दिया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सड़कों व रेल मार्ग पर धरने हटाए जाने के बाद इस आंदोलन से जुड़े पदाधिकारियों के बीच भी इस प्रकार की चर्चाओं का दौर जारी है। यह भी कहा जा रहा है कि घोटालों में शामिल एक पूर्व सरपंच ने योजनाबद्ध तरीके से कुछ शरारती व असामाजिक तत्वों से बीडीपीओ दफ्तर के रिकार्ड रूम में आग लगवाई है। हालांकि पूरी सच्चाई तो जांच के बाद सामने आ सकेगी। लेकिन यदि फाइलों को जलना एक षड्यंत्र, अपने खिलाफ चल रहे जांच के रिकार्ड को जलाने का प्रयास किया गया है तो इससे अधिक निंदनीय कार्य नहीं हो सकता। इससे यह भी जाहिर होता है आंदोलन के नाम पर दादरी क्षेत्र के कई स्थानों पर की गई आगजनी की घटनाओं के पीछे मकसद क्या क्या रहे होंगे। यह भी ज्ञात हुआ है आंदोलन की आड़ में कुछ लोग और भी कई घटनाओं को अंजाम देना चाहते थे, लेकिन खापों व जाट आरक्षण संघर्ष समिति से जुड़े कुछ बुजुर्गो के कारण उनके मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। आंदोलन की ज्वाला थमने के बाद अब इसी प्रकार की कुछ दूसरे चौकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। शुरू से ही शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे जाट आरक्षण आंदोलन के बीच अप्रत्याशित रूप से दादरी बस डिपो में शुक्रवार की रात दो बसों को जलाने, दो अलग अलग स्थानों पर कार जलाने की घटनाओं में आंदोलन से जुड़ा रोष नहीं बल्कि निहित स्वार्थ बताए जा रहे हैं। इस बारे में बारीकी से जांच की जाए तो सच्चाई सामने आ सकती है। इससे कुछ ऐसी बातें भी साफ हो सकती हैं जिनमें घोटालों बाजों, असामाजिक, आपराधिक तत्वों की कार्यवाहियां उजागर हो सकती हैं।
  • दादरी के बीडीपीओ कार्यालय के उसी कमरे में क्यों आग लगाई गई जहां रिकार्ड रखा जाता है।
  • रिकार्ड रूम में अलमारियों का ताला तोड़कर उनमें फाइलें निकाल कर उन्हें फर्श पर डालकर जलाया, बल्कि किसी भी फर्नीचर को आग नहीं लगाई गई।
  • घटना का ऐसा समय चुना गया जब किसी का भी इस ओर ध्यान नहीं था। 
  • आग लगाने वालों ने दफ्तर का सारा रिकार्ड नहीं बल्कि वहीं फाइलें जलाई जिनमें जांच इत्यादि का रिकार्ड था।
  • यदि उपद्रवी युवक आगजनी की घटना करते तो वे पूरे दफ्तर को जलाने का प्रयास करते न कि केवल रिकार्ड की फाइलों को।

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साभारजागरण समाचार 
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