Monday, February 29, 2016

आम बजट: आज होगी सरकार की परीक्षा

बजट से ऐन पहले यूं तो सरकार में चुप्पी होती है लेकिन जब खुद प्रधानमंत्री सार्वजनिक तौर पर परीक्षा में उत्तीर्ण होने को लेकर भरोसा जता रहे हों तो स्पष्ट है कि हर किसी के मन की बात को सुन चुके हैं। यह भी जाहिर है कि नरेंद्र मोदी के आत्मविश्वास के पीछे वित्त मंत्री अरुण जेटली की यह तैयारी है कि इस बजट से देश में आर्थिक सुधारों को एक नई दिशा दी जाए ताकि अगले बीस वर्षो में देश से गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने का रास्ता पूरी तरह तैयार हो। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसका खाका सोमवार ही दिख सकता है। जेटली कुछ बेहद चौंकाने वाले सुधारवादी कदमों का एलान कर सकते हैं। गांव और किसान जहां सरकार की वरीयता में सबसे ऊपर हैं वहीं देश में रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर पैदा करने को अहम प्रोत्साहन मिलने वाले हैं। 1वित्त मंत्री अपने शीर्ष अधिकारियों की टीम के साथ शुक्रवार देर शाम को ही बजट 2016-17 को अंतिम रूप दे चुके हैं। बजट के कुछ प्रस्तावों पर उन्होंने अंतिम समय में पीएम मोदी से लंबी चर्चा की है। इसके अलावा कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, बिजली व कोयला मंत्री पीयूष गोयल और सड़क, राजमार्ग व जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी के साथ उन्होंने अंत समय में विचार विमर्श किया है। दरअसल, यह राजग सरकार का तीसरा बजट है और इस नाते इसकी अहमियत का अहसास सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को है। एक तरह से यह आखिरी मौका है जब सरकार जनता की अपेक्षाओं से सामंजस्य बैठाते हुए कुछ ठोस सुधारवादी कदम उठाए। अगले आम चुनाव में सरकार कैसी अर्थव्यवस्था के साथ वोट मांगने जाएगी, यह काफी हद तक इस बजट से ही तय होगा। ऐसे में मोदी ने वित्त मंत्री को लीक से हट कर बजट बनाने की पूरी छूट दी है। इसकी बानगी देश में निवेश लायक माहौल बनाने, घाटे में चल रही कंपनियों को बंद करने, सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने, सामाजिक विकास के लिए खर्च की राशि तय करने के तरीके को बदलने, किसानों के हितों को सुरक्षित रखने वाले कई कदमों से देखने को मिलेगी।

सूत्रों के मुताबिक सरकार ने आर्थिक सर्वे के जरिये परोक्ष तौर पर यह स्वीकार किया है कि उसके सत्ता में आने के बाद खेती और उद्योगों की स्थिति पहले से खराब हुई है। इन दोनों में सुधार करना न सिर्फ अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि भाजपा की भावी राजनीति से भी बहुत अहम है। ऐसे में हो सकता है कि खेती-किसानी के लिए यह बजट मील का पत्थर साबित होगा। न सिर्फ किसानों को समय पर और पर्याप्त मात्र में खाद पहुंचाने बल्कि उन्हें समय पर वित्तीय संस्थानों से आसान किश्तों पर कर्ज दिलाने को लेकर भी सरकार नई सोच दिखाने को तैयार है। जहां तक औद्योगिक क्षेत्र की बात है तो उन्हें ‘इंस्पेक्टर राज’ और ‘एक्जेंप्शन राज’ से पूरी तरह मुक्ति दिलाने के मामले में वित्त मंत्री का ध्यान होगा। खास तौर पर देश में हर तरह की कंपनियों को बंद करने की प्रक्रिया आसान हो, इस पर जोर होगा। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारजागरण समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.