उग्र आंदोलन के बाद जाटों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण की राह साफ हो जाने के बाद भी इस बात की गारंटी नहीं होगी कि हरियाणा में रोजगार की स्थिति सुधर जाए। राज्य में आए दिन होने वाले इस तरह के आंदोलन को देखते हुए उद्योग जगत अब हरियाणा को निवेश के लिए सही जगह नहीं मान रहा। मौजूदा जाट
आरक्षण आंदोलन से राज्य में निर्माण से सेवा क्षेत्र तक की कंपनियों पर काफी उल्टा असर पड़ा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस आंदोलन ने एक पखवाड़े के भीतर होने वाले निवेशक सम्मेलन की सफलता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे में राज्य में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली कंपनियों ने बाहर का रास्ता पकड़ लिया, तो इससे राज्य में रोजगार के अवसर और कम हो सकते हैं। देश के प्रमुख उद्योग चैंबर एसोचैम का कहना है कि जाट आरक्षण आंदोलन से सिर्फ उद्योग जगत को 20 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। राज्य के उद्योग जगत से बात करने पर यह बात सही लगती है। गुड़गांव उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण यादव का कहना है कि अभी हरियाणा में तैयार सामान न बाहरी राज्यों में जा रहा है और न ही बाहर से सामान यहां आ रहा है। पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और कुछ हद तक उत्तराखंड को होने वाले उत्पादों की आपूर्ति ठप है।
मारुति सुजुकी का प्लांट बंद: देश में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश करने वाली कंपनी मारुति सुजुकी का गुड़गांव स्थित प्लांट शनिवार से बंद है। इस प्लांट में रोजाना पांच हजार कारों का निर्माण होता है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कल-पुर्जे की आपूर्ति नहीं होने के चलते उत्पादन को बंद रखा गया है। कंपनी को रोजाना 2500 करोड़ रुपये की हानि हो रही है। कंपनी हरियाणा में कानून-व्यवस्था को लेकर पहले भी कई बार चिंता जता चुकी है। दो वर्ष पहले मारुति सुजुकी ने देश में अपना दूसरा प्लांट गुजरात में लगाने का फैसला किया था। तब कहा गया था कि उसने राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था की वजह से ही यह कदम उठाया है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.