Tuesday, February 23, 2016

देखिए गुंडा तत्वों ने आंदोलन की आड़ में कैसे तबाह की गरीबों की जिंदगियां

जाट आरक्षण आंदोलन के बाद रोहतक जिले में जो आग लगी है, उसने गरीब तबके के लोगों को ऐसे जख्म दिए हैं, जो शायद जिंदगीभर भी न भर पाएं। उनका दर्द सुनकर हर किसी की रूह कांप उठे। 19 फरवरी को शहर में घुसी उपद्रवियों की भीड़ ने इंदिरा कॉलोनी में ऐसी आग लगाई कि कई परिवार सड़क पर आ गए।
किसी का मकान फूंक दिया गया तो किसी की दुकान को जला दिया गया। यही नहीं, कर्ज पर ऑटो लेकर चलाने वाले एक विकलांग का आटो फूंक दिया गया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अब उसके पास कुछ नहीं बचा है। इस गरीब का कहना है कि उसके सामने आत्महत्या करने के अलावा कुछ नहीं बचा है। जिन केस के बारे में हम बता रहे है, वह बहुत कम है। इंदिरा कालोनी में इससे भी अधिक लोगों का नुकसान हुआ है। आइए बताएं इंदिरा कॉलोनी के लोगों का सोमवार को कैसे दर्द छलका और उनका क्या नुकसान हुआ:
केस नंबर एक: इंदिरा कॉलोनी निवासी कुलदीप पुत्र धर्मबीर ने बताया कि उसने एक साल पूर्व सूदखोरों से कर्ज लेकर कॉलोनी में ही दुकान खोली थी। इस दुकान में परचून का सामान, मोबाइल, लेपटॉप आदि सामान था। 19 फरवरी को सैकड़ों की संख्या में उपद्रवी कॉलोनी में पहुंचे और उन्होंने उसकी दुकान को आग के हवाले कर दिया। उसकी दुकान में कुछ नहीं बचा। कुलदीप का कहना है उसका पांच लाख का नुकसान हुआ है। जाट आरक्षण ने उसे सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है।
केस नंबर दो: इंदिरा कॉलोनी निवासी सुभाष पुत्र हजारी लाल ने बताया कि वह अपने मकान में परिवार के साथ था। 19 फरवरी को कुछ लोग मकान का दरवाजा तोड़कर उसके घर में घुस आए और तोड़फोड़ कर दी। यहीं नहीं उसके घर में खड़ी बाइक को खींचकर बाहर ले आए और सड़क पर रखकर आग लगा दी। उसने हाल ही में सुपर स्पलेंडर बाइक को खरीदा था। उसके घर में हजारों का नुकसान हुआ है।
केस नंबर तीन: इंदिरा कॉलोनी के मनोज पुत्र सुलतान सिंह ने बताया कि वह भी अपने घर में परिवार के साथ था। एक भीड़ आई और सबकुछ बर्बाद करके चली गई। उसके घर का दरवाजा तोड़कर हजारों का घर में नुकसान कर दिया। उसके परिवार ने भीड़ से भागकर जान बचाई। यहीं नहीं उसने अपने घर की महिलाओं को छत के रास्ते से बाहर निकाला।
केस नंबर चार: इंदिरा कॉलोनी के रहने वाले प्रदीप पुत्र राजेंद्र की मीट की दुकान में आग लगा दी गई। दुकान में रखा उसका फ्रीज एवं अन्य सामान जलकर राख हो गया। यहीं नहीं उसकी दुकान में रखे धारदार हथियार भी उठाकर ले गए और विरोध करने पर उसे मारापीटा। उपद्रवियों के कारण उसका परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है। क्योंकि प्रदीप सुबह से लेकर शाम तक जितना कमाता था, रात को उसी कमाई से रोटी खाता था।
केस नंबर पांच: इंदिरा कॉलोनी निवासी प्रेम पुत्र बीरसिंह ने बताया कि उसने हाल ही में चाउमीन की दुकान खोली थी। इस दुकान के जरिए उसके परिवार का खर्च चल रहा था। 19 फरवरी को कुछ उपद्रवी आए और उसकी दुकान में आग लगाकर चले गए। उसका सभी सामान जल गया और अब उसका परिवार भूखा मर रहा है। प्रेम का कहना है कि उसे चिंता सता रही है कि परिवार का गुजारा कैसे होगा।
केस नंबर छह: इंदिरा कॉलोनी निवासी जगदीश पुत्र शेरसिंह पैरों से दिव्यांग हैं। उसने बताया कि उसने हाल ही में डेढ़ लाख रुपये कर्ज लेकर ऑटो बनाया था। आटो के सहारे उसके परिवार का खर्च चल रहा था। वह किश्त भी समय पर दे रहा था। कुछ उपद्रवियों ने उसके आटो को आग के हवाले कर दिया। आटो पूरी तरह से जलकर राख हो गया। अब उसका परिवार सड़क पर आ गया।

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साभारजागरण समाचार 
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