जाट आरक्षण के अराजक जातीय संघर्ष में तब्दील होने से किसी का इकलौता कमाने वाला बेटा इस दुनिया से चला गया तो कोई उसका व्यापार जलने से सड़क पर आ गया। उपद्रवियों ने कई परिवारों को तो ऐसे जख्म दे दिए, जो जिंदगीभर नहीं भर सकेंगे। ऐसी ही कहानी करतारपुरा इंदिरा कॉलोनी निवासी एक महिला की है। उसके इकलौते बेटे की उपद्रवियों ने कई दिन पहले उस समय हत्या कर दी थी, जब वह मजदूरी करके अपने घर वापस लौट रहा था। चार दिन हो गए उसकी मां को उसकी लाश तक नहीं मिल रही है। पुलिस कोई कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है। आखिर इस गरीब परिवार की क्या गलती थी, जो उनसे उनका कमाने वाला छीन लिया गया। इस परिवार की जुबान पर एक ही बात है कि ¨हसा ने उनका लाल छीन लिया।शहर की इंदिरा कालोनी के करतारपुरा निवासी श्रीजयभगवान ने बताया कि उसका 27 साल का बेटा 19 फरवरी को अपने घर से मजदूरी के लिए निकला था। वह हिसार रोड स्थित एक फैक्ट्री में काम करता था। जिस समय वह अपने घर से गया, उस समय रोड पर कुछ नहीं था। शाम के समय
जब वह वापस आ रहा था तो उसे हिसार रोड बंद मिला। श्रीजयभगवान का कहना है कि उसके बेटे को कुछ उपद्रवियों ने पकड़ लिया और उसके सिर में धारदार हथियार से हमला कर दिया। जिसके बाद उसकी मौत हो गई। हुआ यह कि देर शाम तक भी जब श्रीजयभगवान का बेटा मंजीत घर नहीं पहुंचा तो मां को चिंता सताने लगी और उसने उसकी तलाश करने के लिए कहा। उसकी तलाश करते हुए परिजन देर रात दस बजे हिसार बाइपास पर पहुंचे तो देखा कि मंजीत रोड के किनारे पर लहूलुहान पड़ा हुआ है। उसकी मौत हो चुकी थी। इसके बाद परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पीजीआइ ले गई। चार दिन बाद भी मंजीत के शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ।
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साभार: जागरण समाचार
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