हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के नाम पर उपद्रव की स्क्रिप्ट कब, कहां और कैसे लिखी गई, इस यक्ष प्रश्न का उत्तर ढूंढ रही भाजपा सरकार अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार प्रो. वीरेंद्र सिंह के इंटरोगेशन पर निर्भर है। पुलिस प्रो. वीरेंद्र सिंह के खिलाफ दर्ज केस में 120बी के तहत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी जांच की जद में लाने की तैयारी में है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
इसके विपरीत एक सच्चाई यह है कि उपद्रव के दौरान हरियाणा की अफसरशाही की जो निष्ठा सरकार में होनी चाहिए थी, वह साबित नहीं हो पाई। अंदरखाते मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी इससे अवगत हैं। सूत्रों के मुताबिक अफसरों ने जो तस्वीर मुख्यमंत्री को दिखाई थी, उपद्रव उसके ठीक विपरीत रूप ले गया। हरियाणा में सियासत कुछ ऐसी गर्माई कि लपटें दिल्ली तक उठने लगीं। नतीजतन हरियाणा में मुख्यमंत्री बनने की इच्छा लिए सूबे के अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे नेताओं ने खट्टर की कुर्सी पर नजरें गड़ा दीं। बात मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंची तो अफसरशाही ने उन नेताओं में आस्था दिखानी शुरू कर दी, जो हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोए बैठे हैं।
काम नहीं आई खट्टर की लंबी-चौड़ी फौज: मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जिन अफसरों पर भरोसा कर जाट आरक्षण आंदोलन को शांत करने का सपना देख रहे थे, उन अधिकारियों ने तो मुख्यमंत्री को सही स्थिति से अवगत भी नहीं करवाया। अलबत्ता, पिछले डेढ़ साल में ओएसडी और सलाहकारों की लंबी-चौड़ी जो फौज सरकार में बनाई गई है, वह भी सरकार को राज्य के हालात से अवगत करवाने में नाकाम रही।
कई माह पहले से हो रही थी तैयारी: हरियाणा में उपद्रव के बाद आक्रामक तेवर अख्तियार कर चुके स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार का दंगा भड़काने में क्या योगदान है, इसकी जांच चल रही है। अभी कई चेहरे बेनकाब होंगे। आगजनी में इस्तेमाल डीजल-पेट्रोल एक दिन में नहीं आ गया। कई दिनों से यह तैयारी चल रही थी। सभी घटनाओं में वारदात का तरीका एक जैसा है। जांच रिपोर्ट सामने आते ही कई चेहरे बेनकाब होंगे।
24 घंटे पहले ही आ चुकी थी आडियो रिकार्डिंग: प्रो. वीरेंद्र सिंह की जिस आडियो रिकार्डिंग पर इतना घमासान मचा है, वह सरकार के पास 21 फरवरी की शाम को पहुंची, जबकि अधिकारियों के पास यह रिकार्डिंग पहले से मौजूद थी। अफसर नहीं चाहते थे कि यह रिकार्डिंग मीडिया में वायरल हो। बाद में जब एक तरफ यह रिकार्डिंग मीडिया में वायरल हुई, तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री तक जा पहुंची।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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