Wednesday, February 24, 2016

हाई कोर्ट ने फटकारा: कहा जाट आंदोलन पर राजनीति न करें नेता

हाई कोर्ट ने प्रदेश के सभी राजनैतिक दलों व उनके नेताओं को नसीहत दी है कि वे जाट आंदोलन पर राजनीति न करें। हरियाणा में शांति व अमन लाने के लिए काम करें। जस्टिस एसके मित्तल व जस्टिस एचएस सिद्धू पर आधारित डिविजन बैंच ने कहा कि जाट आंदोलन के कारण राज्य लगभग पचास साल पीछे चला गया है। ऐसे में एक-दूसरे पर आरोप लगाने की जगह, प्रभावित लोगों के लिए काम किया जाए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हाई कोर्ट में मंगलवार को जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी। जाट आंदोलन की वजह से प्रदेश में हुए करोड़ों के नुकसान की भरपाई और इसी मुद्दे पर जनहित याचिका लगाई गई है। जस्टिस मित्तल ने हरियाणा सरकार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के समय जिस तरह का पैकेज दिया गया था, सरकार को चाहिए कि वो प्रभावित लोगों के लिए इस तरह का पैकेज दे। बेंच ने कहा कि उन्होने टीवी व अखबारों में देखा है कि राज्य में कितना नुकसान हुआ है। बेंच ने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है और हाईकोर्ट इसमें सीधे तौर पर अभी आदेश जारी नहीं करना चाहता। बेंच ने सभी वर्गों से अपील की है कि राज्य में शांति बनाए रखें।
हाईकोर्ट के तीन निर्देश:
  1. बीमा नियम सरल करवाएं: हाई कोर्ट ने कहा कि यह देखना जरूरी है कि प्रभावित लोगों में से कितने लोगों ने अपनी संपति का बीमा करवाया हुआ था। हालांकि इसमें भी कई तरह की समस्या आएंगी। कुछ लोगों ने चोरी और कुछ ने आग या अन्य तरह का बीमा करवाया होगा। बेंच ने कहा कि जिन लोगों का बीमा आदि कवर होता है, उनको क्लेम के लिए एफआईआर करवाने की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में हरियाणा सरकार बीमा कंपनियों से बात कर नियम सरल करने बारे बात करे।
  2. तत्काल मुआवजा दें: इस आंदोलन से सरकारी और निजी संपत्ति को हुए नुकसान का आकलन कर उसकी रिपोर्ट भी तैयार की जाए। हाई कोर्ट ने कहा की इस आंदोलन में कई लोगों की संपत्ति नष्ट हुई है। ऐसे में उनके सामने आजीविका कमाने का संकट खड़ा हो गया है। लिहाजा सरकार जल्द से जल्द इन लोगों को हुए नुकसान का आकलन कर इन्हे तत्काल मुआवजा दे, ताकि इन लोगों को राहत मिल सके।
  3. वादविवाद का समय नहीं, शांति बहाली जरूरी: बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने रोहतक की जमीनी हकीकत के बारे में बेंच को बताया। इस पर बेंच ने कहा कि ये समय वाद-विवाद का नहीं है। पहले राज्य में शांति बहाली की जरूरत है। ज्ञात रहे कि भिवानी निवासी मुरारी लाल ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर बताया था की जाट आंदोलन के कारण राज्य में आगजनी के कारण कई हजार करोड़ की संपति नष्ट हो गई। जाट संगठनों ने रेल और सड़कें बंद की हुई हैं। ऐसे में आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने हाई कोर्ट को बताया कि इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में भी सोमवार को एक याचिका दायर की गई थी। सरकार राज्य में स्थिति को सामान्य बनाए जाने के लिए सभी संभव प्रयास कर रही है। सेना बुलाई गई है। जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी। साथ ही, हरियाणा सरकार ने इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए हाई कोर्ट से समय मांगा। हाई कोर्ट ने सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का समय देते हुए सुनवाई सोमवार 29 फरवरी तक स्थगित कर दी। 

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साभारजागरण समाचार 
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