Thursday, February 25, 2016

जेएनयू और हैदराबाद यूनिवर्सिटी मामलों पर 'बौखलाए' विपक्ष ने किया वाक आउट

जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय के मुद्दे पर सरकार को घेरने की विपक्षी रणनीति बुधवार को ध्वस्त हो गई। वाम दल अलग-थलग हुए और कांग्रेस असहज। जबकि तथ्यों से लैस आक्रामक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें इतना असहज कर दिया कि विपक्ष सरकार का जवाब सुने बिना ही पहले
पांच-सात मिनट में ही वाकआउट कर गया। पांच घंटे तक आरोप-प्रत्यारोप में चली बहस में इस मुद्दे पर तो एक राय दिखी ही कि जिसने भी राष्ट्रविरोधी नारे लगाए उसे दंडित किया जाना चाहिए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जेएनयू विश्वविद्यालय की आंतरिक रिपोर्टो के आधार पर सरकार ने यह स्पष्ट किया कि वहां साजिश के तहत राष्ट्रविरोधी गतिविधि हुई। 
एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने पार्टी को निर्देश दिया था कि किसी भी मुद्दे पर तथ्यों के साथ पूरी तरह आक्रामक रहें। स्मृति ईरानी उस मानक पर पूरी तरह खरी उतरीं। जेएनयू के ही सुरक्षा अधिकारियों व अन्य की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आक्रामकता के साथ न सिर्फ तथ्य रखे बल्कि वाकआउट कर रहे विपक्षी नेताओं को चुनौती भी दी कि वह हिम्मत दिखाएं और जवाब सुनें। उन्होंने बताया कि जेएनयू में उमर खालिद ने आयोजन के लिए स्थल बुक कराया था और वहीं राष्ट्रविरोधी नारे लगाए जा रहे थे। कुछ लोग कपड़े से चेहरे ढंके हुए थे। इसी बहाने स्मृति ने संप्रग काल के दौरान बनाए गए पाठ्यक्रम पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि बच्चों में जो बीज बोए जाएंगे वही बाद में खिलेगा। निहित राजनीतिक स्वार्थो के तहत ही कुछ लोग ऐसी मानसिकता को बढ़ावा और समर्थन दे रहे हैं। लेकिन यह देश के लिए ठीक नहीं है। क्या दूषित मानसिकता को पनपने के लिए छोड़ना ठीक है। 
यूं तो जेएनयू और हैदराबाद की घटना के सहारे पूरे विपक्ष को जोड़ने की कोशिश थी लेकिन बुधवार को चर्चा में यह स्पष्ट दिख गया कि दूसरे सभी विपक्षी दलों ने कांग्रेस और वाम से दूरी बनाकर ही अपनी राय रखी। तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा की राजनीति पर सवाल उठाए तो यह भी याद दिलाया कि वामदलों ने स्वतंत्रता संग्राम को किस तरह धक्का दिया था। तो एमआइएम के असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा और कांग्रेस दोनों की रणनीति पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए जेएनयू हैदराबाद विश्वविद्यालय में सरकारी हस्तक्षेप पर आपत्ति जताई। सपा के मुलायम सिंह यादव ने भी कांग्रेस की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। यह इसलिए अहम था क्योंकि कांग्रेस और वाम के नेताओं ने इन नारों की आलोचना जरूर की थी लेकिन कहीं न कहीं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात भी करते रहे थे। 
रोहित वेमुला की आत्महत्या के मुद्दे पर लगाए गए आरोपों से आहत और भावुक हुईं स्मृति ने तथ्यों के सहारे ही राहुल गांधी की राजनीति पर भी वार किया और प्रदेश की टीआरएस सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया। स्मृति ने कहा कि जब तेलंगाना आंदोलन हो रहा था तो राहुल एक बार भी वहां नहीं गए लेकिन आत्महत्या के बाद वह तीन बार हैदराबाद जा चुके हैं। क्या यह राजनीति नहीं है। स्मृति ने स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर यह सवाल भी उठाया कि रोहित को सही वक्त पर डाक्टर के पास क्यों नहीं ले जाया गया। टीआरएस के सांसद इससे थोड़े बेचैन भी दिखे। 
मुझे अमेठी में लड़ने की सजा दे रही कांग्रेस : लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को चुनौती दे चुकीं मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को कांग्रेस की मंशा पर ही सवाल खड़ा कर दिया। नारे लगाते विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन्हें अमेठी से चुनाव लड़ने की सजा दे रही है। बेवजह आरोप लगा रही है। पूरे रौ में आई स्मृति ने जब यह बताना शुरू किया कि विपक्षी नेताओं की ओर से किस तरह उन्हें सिफारिशी पत्र लिखे गए तो माहौल गरमा गया। ऐसे में स्मृति के पास विपक्ष पर हमला का एक और मौका था। उन्होंने कहा, उन पर दलित विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है। क्या मैं मानूं कि मुङो इसीलिए नहीं बोलने दिया जा रहा क्योंकि मैं महिला हूं और अल्पसंख्यक से ब्याही हूं। 
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साभारजागरण समाचार 
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