Thursday, February 25, 2016

शिक्षण संस्थाओं को राजनीति की रणभूमि न बनाएं : स्मृति

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) विवाद और हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले में लोकसभा में बुधवार को हुई गर्मागर्म चर्चा के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने जोरदार तरीके से अपना पक्ष रखा। सदन में पूरी तैयारी के साथ आईं स्मृति ने विपक्ष के सभी आरोपों को तार-तार कर दिया। उन्होंने कहा कि रोहित की मौत पर राजनीति हुई, जो लोग उसके लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं, वे इंसाफ नहीं चाहते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के विश्वविद्यालयों के भगवाकरण के आरोप को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं को राजनीतिक रणभूमि नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने चुनौती दी कि अगर कोई विश्वविद्यालयों के भगवाकरण का आरोप साबित कर दे तो वह राजनीति छोड़ देंगी। अफजल के समर्थक मुझे सूली पर चढ़ा रहे हैं। विपक्ष के आरोपों के जवाब में कभी भावुक तो कभी आक्रामक रुख अपनाते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने जाति के आधार पर कभी न्याय की बात नहीं की। ईरानी ने छात्रों द्वारा जेएनयू परिसर में लगाए गए देश विरोधी नारों के कई सबूत सदन के सामने पेश किए। उन्होंने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता तो इंदिरा गांधी ने भी गंवाई थी लेकिन उनके बेटों ने कभी देशद्रोहियों का साथ नहीं दिया। दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले पर स्मृति ने कहा कि उन्होंने बच्चे की बात की थी, दलित की नहीं, लेकिन विपक्ष ने जाति के आधार पर राजनीति की। भावुक होते हुए स्मृति ने कहा कि एक मां पर खून का इल्जाम लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरा नाम स्मृति है, मैं चुनौती देती हूं कि कोई मेरी जाति बताकर दिखाए। उन्होंने कहा कि उन्हें सूली पर चढ़ाया जा रहा है, अमेठी से चुनाव लड़ने की आप लोग (कांग्रेस) सजा देना चाहते हैं। उन्होंने विपक्ष को बेनकाब करते हुए कहा कि उनसे जवाब मांगने वाले ऐडमिशन कराने को कहते हैं। जो कहते हैं कि वह केवल सरकार के मंत्रियों के पत्रों का जवाब देती हैं, तो उन्हें वह बताना चाहती हैं कि कार्यकाल के दौरान उन्होंने 66 हजार से ज्यादा पत्रों के जवाब दिए हैं।
स्मृति ने बताया कि जिस दिन वेमुला ने आत्महत्या की, उसके दूसरे दिन तक पुलिस को शव के पास नहीं जाने दिया गया। उन्होंने यह दावा तेलंगाना हाईकोर्ट में तेलंगाना पुलिस की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर किया। उन्होंने यह भी कहा कि जिस एक्जीक्यूटिव कमिटी ने रोहित वेमुला को कॉलेज से निकाला था, उस कमिटी की नियुक्ति यूपीए सरकार ने ही की थी। जेएनयू विवाद पर उन्होंने कई सबूत दिखाकर दावा किया कि परिसर में देश विरोधी नारे लगाए गए थे। उन्होंने जेएनयू सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि वहां कश्मीर की आजादी, बंदूक से लेंगे आजादी और इंडियन आर्मी मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। उन्होंने कहा कि उमर खालिद ने उस कार्यक्रम का आयोजन कराया, जहां देश विरोधी नारे लगे।
स्मृति-माया में तीखी नोकझोंक: लोकसभा में चर्चा शुरू करते हुए कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है। जेएनयू छात्रों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई इसलिए की क्योंकि उन्होंने भगवा आतंकवाद, दादरी कांड और रोहित वेमुला सरीखे मामलों पर आवाज उठाई है। संघ की विचारधारा का समर्थन न करने वालों के खिलाफ सरकार तरह-तरह के तरीके आजमा रही है। रोहित वेमुला की आत्महत्या के मुद्दे पर बुधवार को राज्यसभा में तीखी नोकझोंक हुई। बसपा प्रमुख मायावती ने इस मामले में हो रही जांच के संदर्भ में सरकार की नीयत पर सवाल उठाए और जांच पैनल में एक दलित सदस्य को शामिल करने पर जोर दिया। बसपा सदस्य वेल में आकर नारे लगाने लगे जिसकी वजह से सदन बार-बार स्थगित होता रहा। इस क्रम में मानव संसाधन मंत्री स्मृति और मायावती के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। स्मृति ने माया से कहा कि अगर बसपा सुप्रीमो उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुईं तो वह अपना सिर काटकर उनके चरणों में रख देंगी।
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साभार: अमर उजाला समाचार 
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