मोदी सरकार जाट आरक्षण की समस्या का स्थायी समाधान निकालने की तैयारी में जुट गई है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात की। रविवार को नायडू को जाट आरक्षण की समस्या का समाधान सौंपे जाने के बाद यह पहली बैठक थी। बैठक में मनोहर के साथ-साथ हरियाणा के
वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, कृषि मंत्री ओपी धनखड़ और मुख्य सचिव भी मौजूद थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, पहली बार बैठक में जाट आरक्षण की मांग के सभी आयामों पर खुलकर चर्चा हुई। बैठक में मौजूद दो जाट नेताओं कैप्टन अभिमन्यु और ओपी धनखड़ ने समुदाय के युवाओं के लंबे समय से लंबित आरक्षण की मांग के बारे में बताया। उनका कहना था कि अब उनके लिए जाट युवाओं को आंदोलन से रोक पाना संभव नहीं है। वहीं, मनोहर ने राज्य में फिलहाल लागू आरक्षण व्यवस्था और जाटों को उसमें समायोजित करने की संभावनाओं से अवगत कराया। सूत्रों के अनुसार, लगभग डेढ़ घंटे तक चली बैठक में जाटों को आरक्षण देने के किसी ठोस प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हुई। मुख्यमंत्री इस संबंध में कोई प्रस्ताव लेकर नहीं आए थे। लेकिन, एक बात साफ थी कि सभी लोग जाटों को आरक्षण दिए जाने पर सहमत थे। माना जा रहा है कि जल्द ही राज्य सरकार वेंकैया नायडू को जाटों को आरक्षण देने का ठोस प्रस्ताव भेजेगी। इस पर सहमति बनने के बाद आगामी विधानसभा में इससे संबंधित विधेयक पेश कर दिया जाएगा। दरअसल सरकार जाट आरक्षण की समस्या को हमेशा के लिए खत्म करना चाहती है। इसके लिए ऐसा उपाय निकाला जा रहा है कि जिससे सुप्रीम कोर्ट की 50 फीसद आरक्षण की तय सीमा का उल्लंघन भी न हो और राज्य में ओबीसी आरक्षण का लाभ उठा रही जातियों को भी कोई नुकसान नहीं हो।
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साभार: जागरण समाचार
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