Monday, February 29, 2016

मुरथल की सच्चाई जानने को निकलवाए जा रहे 'मोबाइल डंप'

मुरथल के पास कथित सामूहिक दुष्कर्म मामले में जिला पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल उठने भी जरूरी हैँ। क्योंकि जिस तरह से वारदात के बारे में बताया गया है, उस तरह से ये जाहिर होता है कि पुलिस ने ही मामले को दबाया है। अपनी इस बिगड़ी छवि को सुधारने के लिए पुलिस ने अपने हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए हैं। पहले तो जांच के लिए डीआईजी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में टीम बनाई गई। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अब इस मामले में और आगे की सोचते हुए पुलिस से जुड़ी खुफिया एजेंसियों ने मोबाइल डम्प निकलवाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। बताया गया है कि मोबाइल डम्प के जरिए उन लोगों का पता चलेगा, जोकि 21 और 22 फरवरी को जीटी रोड पर थे। पुलिस कथित दुष्कर्म मामलों में इन लोगों से पूछताछ और सच्चाई जानने की कोशिश करेगी। जानकारों की मानें तो मुरथल के इस कथित दुष्कर्म मामले में ये मोबाइल डम्प ही आखिरी चीज है। अगर इसके जरिये भी कुछ नहीं मिला तो फिर इस मामले में आगे कोई कार्रवाई संभव नहीं हो पाएगी। 
दो दिन और तीन जगह  को चुना: खुफिया एजेंसियों ने मोबाइल डम्प के लिए 2 दिन और 3 जगहों को डम्प के लिए चुना है। इसके लिए 21 फरवरी और 22 फरवरी के दिन लड़सौली, मुरथल, हसनपुर की आसपास का क्षेत्र चुना गया है। इन दोनों में जो भी मोबाइल उपरोक्त तीनों जगहों के आसपास रहे होंगे, उनकी डिटेल ली जा रही है।
फोन पर होगी पूछताछ: जानकारों की मानें तो फोन डम्प लेने के पीछे उन लोगों से बातचीत करने की मंशा है, जोकि दोनों दिन हाइवे पर थे। इन लोगों से मोबाइल फोन पर ही पूछा जाएगा कि उन्होंने सामूहिक दुष्कर्म की कोई वारदात देखी थी या महिलाओं के साथ बदतमीजी करते हुए किसी को देखा हो। सूत्रों के अनुसार मोबाइल फोन पर बातचीत के दौरान अगर कुछ शंका मिलती है तो उनके घर जाकर भी पूछताछ की जा सकती है। वहीं जांच के इस हिस्से को सबसे आखिरी बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार अगर मोबाइल फोन के जरिए भी कोई पीड़ित या प्रत्यक्षदर्शी नहीं मिलता तो आगे की कार्रवाई संभव न हो।
मीडिया कर्मियों का विरोध: मुरथल में रविवार को भी मीडिया की गई गाड़ियां जीटी रोड पर सुखदेव ढाबे के सामने खड़ी थी। इसी दौरान दोपहर लगभग 12 बजे कुछ ग्रामीण मीडिया कर्मियों के पास आ गए और उन्होंने इलाके को बदनाम न करने के लिए कहा। हालांकि इसी दौरान कुछ देर के लिए मामला गर्म भी हो गया था, लेकिन जल्द ही सब शांत हो गए। इसके बाद कुछ मीडिया कर्मियों ने उन ग्रामीणों से वीडियो कैमरे पर बातचीत भी की, जोकि ये कह रहे थे, यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ।
क्या है मोबाइल डम्प: मोबाइल में जो सिम होता है, उसे रेंज विभिन्न कंपनियों के मोबाइल टावरों से आती है। एक मोबाइल टावर का एरिया काफी विस्तृत होता है। डम्प में उन मोबाइल नंबरों की खोज की जाती है जोकि एक क्षेत्र विशेष में चालू होते हैं। मोबाइल डम्प सभी नेटवर्क प्रदाता कंपनियों के अलग-अलग होते हैं।
अभी तक कोई पीड़ित, प्रत्यक्षदर्शी या शिकायतकर्ता सामने नहीं आया है। मोबाइल डम्प निकलवाया जा रहा है। हो सकता है किसी ने कुछ देखा हो। डम्प के जरिए मोबाइल फोन मालिकों से बातचीत की जाएगी तथा सहयोग की अपील भी। - राजश्री, डीआईजी, हरियाणा पुलिस
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: अमर उजाला समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.