प्रदेश में जातीय हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों के आगे सरकार और पुलिस दोनों लाचार हैं। आंदोलनकारी पेट्रोल बम व अवैध हथियारों के बूते बार-बार सरकार को चुनौती दे रहे हैं और सरकार है कि उसकी पुलिस व सेना के पास मौजूद आंसू गैस के गोले ही खत्म हो गए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम
के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हरियाणा पुलिस इस जातीय हिंसा को काबू करने को लेकर कितनी गंभीर है, उसका अंदाजा आधी अधूरी तैयारियों से ही लगाया जा सकता है। आंदोलन से सबसे ज्यादा प्रभावित रोहतक जिले में ऐसा हुआ है। यहां पुलिस को हवाई मार्ग के जरिए आंसू गैस के गोले मंगवाने पड़े हैं। जाट आरक्षण के लिए शुरू हुआ आंदोलन पूरे प्रदेश में जातीय हिंसा में तबदील हो चुका है। लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हैं और चुन-चुन कर लोगों को मारा जा रहा है। उपद्रवी महिलाओं से छेड़छाड़ कर रहे हैं और लोगों के घरों में घुसकर पीटा जा रहा है। सरकारी व निजी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया जा चुका है।
राज्य में अभी तक अधिकारिक रूप से एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। गुड़गांव समेत नौ जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है जबकि पांच शहरों में कफ्यरू लगा हुआ है। बावजूद इसके आंदोलनकारियों को पुलिस व सेना का कोई खौफ नहीं है। हर जिले में मिलिट्री के हाथ बंधे हुए हैं। पूरे प्रदेश में आग लग गई और पुलिस सिर्फ 45 लोगों को गिरफ्तार कर पाई है। दंगे में अभी तक डेढ़ सौ लोगों के घायल होने की खबर है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रविवार को भी अपने निवास पर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मंत्रणा की। सरकार की चुप्पी से संदेश जा रहा है कि लोगों को अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी। पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंघल और गृह सचिव पीके दास पत्रकारों के सामने पूरी तरह लाचार नजर आए। डीजीपी ने माना कि उपद्रवी शराब पीकर और डीजे लगाकर डांस कर रहे हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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