साभार: जागरण समाचार
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की तरफ से जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर अल्वी को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करना पाकिस्तान पर दबाव बनाने की शुरुआत भर है। संयुक्त राष्ट्र की विशेष समिति के फैसले के एक
दिन बाद अमेरिका और भारत ने पाकिस्तान के सामने स्पष्ट कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय आगे यह भी देखेगा कि इमरान खान सरकार इस फैसले को लागू करने में कितनी तेजी दिखाती है। भारत ने सांकेतिक भाषा में यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर पाकिस्तान इसमें असफल रहा तो इसका खामियाजा उसे फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ ) के प्रतिबंध के तौर पर भुगतना पड़ सकता है।
भारत ने अजहर के मामले में पाकिस्तान के समक्ष अपनी उम्मीदों की सूची रख दी है और कहा है कि उसकी तरफ से आगे जो भी कार्रवाई होगी उस पर उसकी नजर होगी। भारत ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र की विशेष समिति (1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति) भी पाकिस्तान सरकार की तरफ से यूएन प्रस्ताव के मुताबिक उठाए जाने वाले कदमों पर नजर रखेगी। विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता रवीश कुमार के मुताबिक, यूएन के फैसले के बाद हमारी पाकिस्तान या संयुक्त राष्ट्र के दूसरे देशों की सरकारों से मोटे तौर पर तीन उम्मीदें हैं। पहला, मसूद अजहर से जुड़े हर फंड और उसकी वित्तीय परिसंपत्तियों को जब्त किया जाए। दूसरा, अजहर को कहीं भी आने-जाने से प्रतिबंधित किया जाए। तीसरा, उसे और उससे जुड़े किसी भी संगठन को हथियारों की आपूर्ति पर पूरी तरह से रोक लगे। पाकिस्तान उक्त सारे कदम उठाने के लिए बाध्य है क्योंकि इनकी मांग यूएन की विशेष समिति ने की है। भारत के साथ ही अमेरिका ने भी इस बारे में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को उनके उस बयान की याद दिलाई है जिसमें उन्होंने कहा था, ‘अपने बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है कि हम आतंकवाद का खात्मा करें।’
,संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन के प्रवक्ता के मुताबिक, हमें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उम्मीदों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखेगी।
भारत की तीन मांगें
- अजहर से जुड़े हर फंड व वित्तीय संपत्तियों की जब्ती हो
- उस पर कहीं भी यात्र करने पर पूरी तरह से पाबंदी हो
- अजहर व उससे जुड़े किसी भी संगठन को हथियारों की आपूर्ति पर रोक