साभार: जागरण समाचार
सुप्रीम कोर्ट के हवाले से ‘चौकीदार चोर है’ बयान देने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कानूनी पेंच में उलझते ही जा रहे हैं। राजनीति की खातिर वह सीधे तौर पर माफी मांगने से बचते रहे, लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के
रुख के बाद स्पष्ट हो गया है कि उन्हें माफी मांगनी ही पड़ेगी। हालांकि राहुल के वकील ने मौखिक रूप से तीन बार बिना शर्त माफी मांग ली, लेकिन अब लिखित में राहुल को माफीनामा पेश करना होगा। कोर्ट मामले पर 10 मई को फिर सुनवाई करेगा।
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने याचिका दाखिल कर राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला चलाने की मांग की थी। राहुल ने यूं तो गलती मान ली थी, लेकिन अब तक कोर्ट से माफी नहीं मांगी बल्कि दो बार सिर्फ खेद ही जताया। खेद जताने के क्रम में लंबा चौड़ा स्पष्टीकरण भी दिया और राफेल विवाद को जिंदा रखने की कवायद भी की। भाजपा और सरकार पर आरोप भी लगाए। जाहिर है कि चुनावी जंग के बीच राहुल माफी शब्द के इस्तेमाल से बचना चाहते हैं। लेकिन अब कानूनी फंदा कुछ इस कदर उलझ गया है कि बचना है तो शायद माफीनामा ही एक रास्ता है।
मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, संजय किशन कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने राहुल की ओर से पेश जवाब से असंतुष्टि जताई। कोर्ट ने कहा कि वह बताएं कि इस हलफनामे में वह क्या कहना चाहते हैं? जस्टिस कौल ने कहा, समझ नहीं आ रहा कि वह 21 पन्नों में क्या स्पष्ट करना चाह रहे हैं। किसी जगह वह गलती मान रहे हैं और किसी जगह आरोपों से इन्कार कर रहे हैं। सिंघवी ने कहा कि उन्हें पक्ष रखने का मौका दिया जाए वह अपनी बात स्पष्ट कर देंगे।
सिंघवी ने मानी तीन गलतियां: सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल राहुल गांधी ने तीन गलतियां की हैं और वह उसे स्वीकार करते हैं। पहली गलती यह कहकर की, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चौकीदार चोर है। दूसरी गलती, सुप्रीम कोर्ट उसकी जांच करने जा रहा है। तीसरी गलती, चौकीदार ने चोरी की है। उन्होंने कहा कि इन तीनों बयानों के लिए उन्होंने माफी मांगी है। वह इसके लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि ये शब्द उनके हलफनामे में कहां हैं। सिंघवी ने कहा कि खेद का मतलब माफी ही होता है। हलफनामे में उन्होंने माना है कि कोर्ट ने ऐसा कभी नहीं कहा है। अगर कोर्ट संतुष्ट नहीं है तो वह सोमवार तक बेहतर हलफनामा दाखिल करेंगे।
अगर अभी बहस करोगे तो दूसरा मौका नहीं देंगे: इस पर प्रधान न्यायाधीश ने सिंघवी से कहा, वह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि अगर वह इस हलफनामे पर बहस करते हैं तो फिर बाद में उन्हें दूसरा बेहतर हलफनामा दाखिल करने का मौका नहीं मिलेगा। सिंघवी ने कहा कि वह कोर्ट को पूरी तरह संतुष्ट करेंगे, लेकिन अगर फिर भी कोर्ट संतुष्ट नहीं होता तो उन्हें एक और हलफनामा दाखिल करने का मौका दिया जाए। हालांकि बाद में कोर्ट इस बात पर राजी हो गया।
राजनीतिक नजरिये से कोर्ट को लेना-देना नहीं: जब सिंघवी ने कहा, ‘चौकीदार चोर है। उनका राजनीतिक स्लोगन है और हलफनामे के दूसरे हिस्से में उन्होंने अपना राजनीतिक नजरिया बताया है।’ इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कोर्ट को उनके राजनीतिक नजरिये से कोई लेना-देना नहीं है। वह अपना राजनीतिक नजरिया अपने पास रखें। कोर्ट ने साफ किया कि वे सिंघवी के अनुरोध पर उन्हें एक और हलफनामा दाखिल करने का मौका दे रहे हैं, लेकिन वे स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि किसी भी हलफनामे को स्वीकार करने या नहीं करने पर कोर्ट अगली सुनवाई पर विचार करेगा।