साभार: जागरण समाचार
बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। नोटिस जारी करने के 24 घंटे बाद बुधवार दोपहर चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने तेज
बहादुर का नामांकन खारिज कर दिया। ऐसे में अब शालिनी यादव सपा की अधिकृत प्रत्याशी हो गई हैं।
जिला निर्वाचन अधिकारी के अनुसार नामांकन के वक्त तेज बहादुर ने बर्खास्तगी का सर्टिफिकेट नहीं जमा किया था। साथ ही सरकारी सेवा से बर्खास्तगी के पांच साल के भीतर चुनाव लड़ने के लिए चुनाव आयोग से एनओसी लेना अनिवार्य है। बुधवार दोपहर 11 बजे तक समय देने के बाद भी तेज बहादुर यादव की ओर से आयोग की एनओसी नहीं जमा की गई। इसके बाद चुनाव प्रेक्षक व आयोग के निर्देश पर तेज बहादुर का नामांकन रद किया गया। वहीं तेज बहादुर और उन्हें टिकट देने वाली समाजवादी पार्टी ने नामांकन पत्र निरस्त होने के पीछे पीएम मोदी का दबाव बताया। कहा आयोग के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। तेज बहादुर ने पहले 26 अप्रैल को निर्दलीय नामांकन किया था। फिर 29 अप्रैल को सपा ने अचानक अपने चुनाव चिह्न् पर उनका नामांकन कराया। तेज बहादुर का पर्चा रद होने की आशंका पर सपा ने वैकल्पिक तौर पर शालिनी यादव का भी नामांकन कराया था। मंगलवार दोपहर तीन बजे निर्वाचन कार्यालय से नोटिस जारी किया गया कि तेज बहादुर सरकारी सेवा से बर्खास्त होने की वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं और उनका नामांकन अवैध है। उन्हें सुबह 11 बजे तक का वक्त दिया गया था।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने आरोपों को नकारा: तेज बहादुर व सपा के आरोपों को नकारते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया ‘यदि केंद्रीय या राज्य सरकार का कोई कर्मचारी-अधिकारी किन्हीं कारणों से सेवा से बर्खास्त किया जाता है और वह इसके बाद पांच साल के भीतर चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे केंद्रीय चुनाव आयोग से एनओसी लाना अनिवार्य है। इसका उल्लेख सेक्शन नाइन डिसक्वालीफिकेशन रिप्रेजेंटेशन आफ पीपल एक्ट में है। तेज बहादुर ने ऐसा नहीं किया।’ बुधवार को मिली शिकायतों व लंबी सुनवाई के बाद पर्याप्त आधार पर पर्चा खारिज किया गया है।