साभार: जागरण समाचार
कैथल जिले के मूंदड़ी गांव में बन रहे महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से स्वीकृति मिल चुकी है। इसके साथ ही अब महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय को देश के 17वें
संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में अपनी पहचान मिल गई है। 2019-20 सत्र से ही विश्वविद्यालय में 11 पाठ्यक्रमों में प्रवेश शुरू हो जाएंगे। हालांकि विश्वविद्यालय को अभी चार नई बड़ी परियोजनाओं की प्रतीक्षा है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. श्रेयांश द्विवेदी के अनुसार जल्द ही चारों नई परियोजनाओं को स्वीकृति मिल जाएगी और फिर यह प्रदेश ही नहीं देश का सबसे बड़ा संस्कृत विश्वविद्यालय हो जाएगा। उन्होंने बताया कि हमारा उद्देश्य विश्वविद्यालय को में ऐसे पाठ्यक्रम लाने हैं और इसे शोध के क्षेत्र में विशेष बनाना हैं जहां से निकलने पर रोजगार की समस्या न रहे। पहला काम विश्वविद्यालय में आयुर्वेद में आयुर्वेद शास्त्री (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड सर्जरी, संक्षेप में बीएएमएस) कोर्स शुरु करना है जिसके लिए आयुष मंत्रलय से स्वीकृति ली जा रही है। दूसरा संस्कृत में स्नातक के साथ साथ चार वर्षीय शिक्षा शास्त्री (बीएड) के लिए एनसीटीई से स्वीकृति ली जा रही है। तीसरा विश्वस्तरीय ज्योतिष पीठ की स्थापना करना है। इसको लेकर भी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। चौथा प्रदेश के सभी 70 संस्कृत कॉलेज व गुरुकुल को विश्वविद्यालय के साथ जोड़ना है।
विश्वस्तरीय ज्योतिष पीठ में शोध और इलाज दोनों होंगे: विश्वविद्यालय में विश्वस्तरीय ज्योतिष पीठ में स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, समाज, परिवार जैसे क्षेत्रों में शोध करने के साथ ही ज्योतिष से इसके इलाज भी किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के तालमेल कर मरीजों को ठीक करने के लिए ज्योतिष पीठ काम करेगी।
देश का पहला विशुद्ध संस्कृत विश्वविद्यालय होगा: कुलपति डॉ. श्रेयांश द्विवेदी बताते हैं कि अब तक देश में जितने भी विश्वविद्यालय शुरू हुए हैं, लेकिन बाद में इनमें संस्कृत के साथ साथ अन्य भाषाओं में भी पढ़ाई करवाई जाने लगी। यह देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय होगा जहां पढ़ने पढ़ाने से लेकर हर पत्रचार व सामान्य वार्तालाप भी संस्कृत भाषा में ही होगा। इन पाठयक्रमों में होगा प्रवेश विश्वविद्यालय में शास्त्री, आचार्य, ज्योतिष, कर्मकांड, वेद, व्याकरण, साहित्य, आयुर्वेद, योग, पत्रकारिता में छात्र प्रवेश ले सकेंगे।
भवन नहीं तैयार होने तक राजकीय कॉलेज में लगेंगी कक्षाएं: गांव मूंदड़ी में 150 करोड़ रुपये से 20 एकड़ में संस्कृत विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य का शिलान्यास हो चुका है। हालांकि भवन को तैयार होने में करीब दो वर्ष का समय लगेगा, लेकिन जब तक भवन तैयार नहीं होगा तब तक राजकीय कॉलेज में कक्षाएं लगेंगी। डॉ. श्रेयांश द्विवेदी ने कहा कि विश्वविद्यालय के पास पैसे की कमी नहीं है। अगर पढ़ने वालों की संख्या ज्यादा होती है तो कॉलेज के बाहर भी भवन किराये पर लेकर विश्वविद्यालय की शुरुआत की जाएगी।