साभार: जागरण समाचार
वायु प्रदूषण से त्रस्त दुनिया के लिए एक अच्छी खबर है। पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रावॉयलेट रे) से पृथ्वी को बचाने वाला ओजोन परत इस साल पिछले तकरीबन तीन दशकों में सबसे कम क्षतिग्रस्त हुआ है। नासा ने
सेटेलाइट से जुटाई सूचनाओं के हवाले से यह जानकारी दी है। वैज्ञानिकों ने बताया कि वर्ष 2017 में ओजोन परत में छेद 1988 के बाद सबसे छोटा रहा है। अंटार्कटिका के ऊपर हर साल सितंबर में ओजोन परत में छिद्र बनता है। नासा वैज्ञानिकों ने बताया कि इस साल ओजोन परत में छिद्र का दायरा 76 लाख वर्ग मील (1.22 करोड़ वर्ग किलोमीटर) रहा।
यह 11 सितंबर को सबसे ऊंचे स्तर तक पहुंचा था। वर्ष 2016 में यह 89 लाख वर्ग मील (1.43 करोड़ वर्ग किलोमीटर) था। नासा के अनुसार, ओजोन परत में हर साल मध्य सितंबर तक छिद्र का निर्माण होता है। उसके बाद अक्टूबर तक उसका दायरा सिमटता जाता है। नेशनल ओशीएनिक एंड एटमॉसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) पृथ्वी पर लगे उपकरणों और गुब्बारे के जरिये ओजोन परत में सालाना होने वाले छिद्र को मापता है। नासा और एनओएए साथ मिलकर ओजोन में बनने वाले छिद्र की निगरानी करता है।