साभार: भास्कर समाचार
नेताओं से जुड़े 1,581 आपराधिक केस तेजी से निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालतें बनाने की वकालत की है। कोर्ट ने कहा कि यह कदम राष्ट्र हित में होगा। कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि ऐसी विशेष अदालतें
बनाने में कितना वक्त और फंड लगेगा। केंद्र को छह हफ्ते में जवाब देना होगा। मामले की सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलीसिटर जनरल आत्माराम नदकरनी ने कहा, 'राजनीति को अपराध से मुक्त करना है।' इस पर जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बेंच ने तल्ख लहजे में पूछा, 'क्या इस पर कोई रुख हो सकता है?' जवाब में नदकरनी ने कहा कि नेताओं से जुड़े केसों के लिए विशेष अदालत बनाने में कोई बुराई नहीं। दोषी साबित नेताओं के चुनाव लड़ने पर ताउम्र रोक संबंधी चुनाव आयोग और विधि आयोग के सुझावों पर विचार किया जा रहा है।
जज, वकील और स्टाफ की नियुक्ति खुद सुप्रीम कोर्ट ही संभालेगा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष अदालतों में न्यायिक अधिकारियों, पब्लिक प्रॉसीक्यूटर, कोर्ट स्टाफ की नियुक्ति और इंफ्रास्ट्रक्चर सुप्रीम कोर्ट ही संभालेगा।
जज, वकील और स्टाफ की नियुक्ति खुद सुप्रीम कोर्ट ही संभालेगा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष अदालतों में न्यायिक अधिकारियों, पब्लिक प्रॉसीक्यूटर, कोर्ट स्टाफ की नियुक्ति और इंफ्रास्ट्रक्चर सुप्रीम कोर्ट ही संभालेगा।
चुनाव आयोग ने दोषी करार नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन पाबंदी का समर्थन किया। आयोग ने कहा कि कानूनों में संशोधन के लिए केंद्र को पहले ही लिखा जा चुका है। केंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक भी ऐसा मामला नहीं बताया है कि दोषी करार दिया गया कोई राजनेता छह साल की अयोग्यता अवधि के अंदर ही संसद या विधानसभा में दोबारा पहुंचने में कामयाब रहा हो। उपाध्याय ने अपनी याचिका में दोषी करार सांसदाें-विधायकों के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष अदालतें सिर्फ नेताओं से जुड़े केस सुनेंगी। इस पर केंद्र ने पूछा कि क्या इन्हें देशभर में माैजूद सीबीआई अदालतों से जोड़ सकते हैं? जवाब में कोर्ट ने कहा, 'नहीं, इन्हें किसी और चीज के साथ जोड़ें। लोअर ज्यूडिशियरी में हर अदालत के पास चार हजार से ज्यादा केस हैं। नेताओं से जुड़े मामलों के लिए विशेष तौर पर न्यायिक अधिकारी नहीं लगाएंगे तो एक साल में ट्रायल पूरा करना मुश्किल होगा।'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष अदालतें सिर्फ नेताओं से जुड़े केस सुनेंगी। इस पर केंद्र ने पूछा कि क्या इन्हें देशभर में माैजूद सीबीआई अदालतों से जोड़ सकते हैं? जवाब में कोर्ट ने कहा, 'नहीं, इन्हें किसी और चीज के साथ जोड़ें। लोअर ज्यूडिशियरी में हर अदालत के पास चार हजार से ज्यादा केस हैं। नेताओं से जुड़े मामलों के लिए विशेष तौर पर न्यायिक अधिकारी नहीं लगाएंगे तो एक साल में ट्रायल पूरा करना मुश्किल होगा।'
- 2014 के बाद क्या किसी मौजूदा या पूर्व सांसद-विधायक पर केस दर्ज हुआ है? उनके निपटारे की स्थिति क्या है?
- कितनों में फैसले हुए हैं? यानी नेता बरी या दोषी करार हुए।
- कितने मामलों का ट्रायल एक साल में पूरा हो गया?
- कोर्ट ने केंद्र से पूछा- ऐसी कोर्ट बनाने में कितना वक्त और पैसा लगेगा