Saturday, November 4, 2017

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: चार डीम्ड यूनिवर्सिटी के कॉरेस्पोंडेंस कोर्सेज की मान्यता की रद्द

साभार: भास्कर समाचार 
सुप्रीमकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में कहा कि इंजीनियरिंग जैसी तकनीकी शिक्षा कॉरस्पोंडेंस के जरिये नहीं दे सकते। कोर्ट ने चार डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा 2001 से कॉरस्पोंडेंस के जरिये जारी की गईं इंजीनियरिंग
की डिग्री रद्द कर दी हैं। इससे हजारों छात्र प्रभावित होंगे। इन यूनिवर्सिटी में राजस्थान से जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ और इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज इन एजुकेशन इन राजस्थान, उत्तरप्रदेश से इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट और तमिलनाडु से विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसी डिग्री देने के लिए डीम्ड यूनिवर्सिटी के पास कोई इजाजत नहीं थी। 
जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने 2001-05 बैच के छात्रों को ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) की परीक्षा में बैठकर दोबारा डिग्री लेने की इजाजत दी है। लेकिन इसके बाद के सभी बैच की डिग्री रद्द कर दी गईं। इनके आधार पर छात्रों को मिले सभी लाभ भी वापस लेने को कहा गया है। डीम्ड यूनिवर्सिटीज को छात्रों से वसूली ट्यूशन फीस और बाकी खर्चा भी लौटाना होगा। कोर्ट ने सभी डीम्ड यूनिवर्सिटीज को एआईसीटीई से इजाजत लिए बिना कॉरस्पोंडेंस कोर्स ऑफर करने से भी रोक दिया है। 2018-19 के एकेडमिक सेशन से कोई भी डीम्ड यूनिवर्सिटी ऐसे कोर्स में दाखिला नहीं कर पाएगी। हर कोर्स के लिए विशेष मंजूरी लेनी होगी।  
उच्च स्तरीय समिति करेगी डीम्ड यूनिवर्सिटीज की जांच: सुप्रीम कोर्ट ने डीम्ड यूनिवर्सिटीज के कामों की जांच के लिए केंद्र को तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित करने के आदेश दिए हैं। इसमें एजुकेशन, इन्वेस्टिगेशन और एडमिनिस्ट्रेशन या कानून के क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल रहेंगे। कमेटी का गठन महीनेभर में करने को कहा गया है। कमेटी छह महीने में रिपोर्ट देगी। कोर्ट ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट पर फैसला लेकर केंद्र 31 अगस्त, 2018 से पहले जवाब दायर करे। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस सारे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इसमें उन सरकारी अधिकारियों की भूमिका देखी जाएगी, जिन्होंने इजाजत नहीं होने के बावजूद डीम्ड यूनिवर्सिटी को डिस्टेंस मोड में ऐसे कोर्स करवाने दिए।