साभार: भास्कर समाचार
हरियाणा के आरटीए कार्यालयों में लगातार बढ़ रहे भ्रष्टाचार के मामलों ने सरकार के कान खड़े कर दिए हैं। प्रदेश में हर साल चालान से औसतन 40 करोड़ की वसूली मेें गड़बड़ी की शिकायतों पर एक साथ 22 आरटीए के
हटाए जाने के बाद अब ई-चालान की व्यवस्था होगी। इसके अलावा ट्रैफिक तोड़ने वालों का भी रिकाॅर्ड रखा जाएगा। चालान पर लोकेशन और टाइमिंग भी डिजिटली ही दर्ज होगी। इसका डाटा वाहन और सारथी वेब पोर्टल से भी इंटीग्रेटेड किया जाएगा, ताकि ट्रैफिक पुलिसकर्मी अथवा ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के कर्मचारी चालानिंग में किसी तरह की हेरफेर कर सकें। यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में अगले महीने शुरू होने की संभावना है। इसके लिए ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट और ट्रैफिक पुलिस ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। फील्ड स्टाफ को इलेक्ट्रॉनिक मशीनें उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन मशीनों में जुर्माना राशि मौके पर ही भरने की दृष्टि से कैशलेस भुगतान की सुविधा भी होगी। यानी डेबिट अथवा क्रेडिट कार्ड स्वाइप करके भी जुर्माना राशि का भुगतान किया जा सकेगा। परिवहन विभाग का कहना है कि हालांकि ई-चालानिंग तो कई राज्यों में थोड़ी-थोड़ी हो रही है। लेकिन, वाहन और सारथी पोर्टल के साथ डाटा इंटीग्रेटेड करने की पहल सबसे पहले हरियाणा कर रहा है। परिवहन विभाग ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पहल पर राज्य में सेफ ड्राइविंग और परिवहन कार्यालयों में भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाने के उद्देश्य से यह कवायद शुरू की है। क्योंकि सीएमओ को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि केवल आरटीए कार्यालय के लोग, बल्कि ट्रैफिक पुलिस के लोग भी वाहनों के चालान में मनमानी कर रहे हैं। जिसका चाहे चालान करते हैं और जिसे चाहें छोड़ देते हैं। यहां तक कि रिकॉर्ड में भी काट-छांट अथवा हेराफेरी करके सरकार को भी राजस्व का नुकसान पहुंचाते हैं। भ्रष्टाचार की इन्हीं शिकायतों के कारण दो महीने पहले ही सीएमओ की फ्लाइंग स्क्वायड ने सभी 22 जिलों के आरटीए कार्यालयों में एक साथ छापेमारी करके कई अनियमितताएं पकड़ी थीं। करप्शन की शिकायतों की वजह से सीएम मनोहर लाल ने एक ही आदेश से सभी 22 जिलों के आरटीए सचिव तुरंत प्रभाव से हटा दिए थे और स्थानीय एडीसी को अतिरिक्त कर्यभार सौंप दिया था। पिछले तीन साल के कार्यकाल में एक साथ सभी आरटीए सचिवों को पद से हटाने की मनोहर सरकार की यह पहली कार्रवाई थी। इसके बाद सीएम ने परिवहन विभाग के महानिदेशक विकास गुप्ता को निर्देश दिए थे कि चालानिंग, वाहन रजिस्ट्रेशन और ओवर लोडिंग जैसे कामों का इस तरह से ऑटोमेशन किया जाए, जिससे निचले स्तर के करप्शन पर प्रभावी अंकुश लग सके।
सीएम फ्लाइंग की छापेमारी के दौरान पंचकूला में तो और भी रोचक मामला पकड़ा गया था। यहां सहायक सचिव ने खाली चालान बुक में ही दस्तखत कर रखे थे। जबकि किसी वाहन चालक द्वारा कोई अपराध करते पकड़े जाने पर उसके सामने चालान भरकर ही संबंधित अधिकारी को अपने दस्तखत करने चाहिए थे। नीचे के कर्मचारी अपनी इच्छानुसार चालान काटकर रशीद दे देते थे। सीएम फ्लाइंग ने इसमें भी भ्रष्टाचार की आशंका जताई थी।
नवगठित चरखी दादरी के आरटीए कार्यालय में भी 29 चालान ऐसे पाए गए थे, जिनमें कांट-छांट करके वाहन मालिकों को गलत फायदा पहुंचाए जाने की आशंका थी। इस संबंध में वहां के संबंधित बाबू और आरटीए के सहायक सचिव पर मामला भी दर्ज हुआ। इसी तरह भिवानी के आरटीए कार्यालय में भी चालान की रसीदों में कांट-छांट पाई गई। इस तरह फील्ड स्टाफ द्वारा निजी स्वार्थवश नियम तोड़ने वालों को फायदा और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाए जाने की आशंका जताई गई थी।
- राज्य परिवहन विभाग के मुताबिक मोबाइल और जीपीआरएस बेस्ड इलेक्ट्रॉनिक मशीन से जो भी चालान होंगे, उन सभी का डाटा साथ-साथ सारथी और वाहन वेब पोर्टल पर संबंधित वाहन के खाते में दर्ज हो जाएगा। मुख्यालय पर इसका रिकॉर्ड कभी देखा जा सकता है।
- इसी तरह वाहन चालकों का डाटा भी इन दोनों वेबपोर्टल पर उपलब्ध रहेगा कि किस ड्राइवर ने कितनी बार नियमों का उल्लंघन किया। कितनी बार उसके चालान हुए हैं। इसी आधार पर उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
- हालांकि यह डाटा फिलहाल पब्लिकली नहीं होगा, लेकिन संबंधित अथॉरिटी इसे देख सकेंगी।
- इसका फायदा ये होगा कि अगर कोई वाहन चालक लगातार अपराध कर रहा है तो उसका लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की जा सकेगी।
- इसके अलावा रोड टैक्स, फिटनेस, इंश्योरेंस, पॉल्यूशन जैसी जानकारियां भी ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेंगी।
राज्य के सभी आरटीए कार्यालयों में दलालों का दबदबा है। सीएम फ्लाइंग ने 9 अगस्त को फरीदाबाद के आऱटीए कार्यालय में छापा मारकर सुच्चा उर्फ सौरभ नाम के दलाल को रंगे हाथों पकड़ा था। जो तय फीस से 100 से 200 रुपए ज्यादा ले रहा था। इसी तरह का एक मामला बल्लभ गढ़ में भी पकड़ा गया था। इसी तरह हिसार के आरटीए कार्यालय में भी 4 प्राइवेट लोग अवैध रूप से काम करते हुए पाए गए थे। हालात ये हैं कि बिना दलाल के कोई काम हो ही नहीं पा रहे हैं।