साभार: जागरण समाचार
गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश ने भाजपा को जीत की सौगात दी है। पहले लोकसभा, फिर विधानसभा में प्रचंड बहुमत के बाद निकायों में भी भाजपा का दबदबा हो गया है। नगर निगम, नगर पालिका
परिषद और नगर पंचायतों में भाजपा को रिकार्ड सफलता मिली है। विधानसभा चुनाव के आठ माह बाद हुए प्रदेश के निकाय चुनाव में 16 नगर निगमों में भाजपा ने 14 पर कब्जा जमाया है जबकि अलीगढ़ और मेरठ नगर निगम महापौर की सीट जीतने में बसपा सफल हो गई। सपा और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका। नगर पालिका और नगर पंचायतों में भी भाजपा की ही बढ़त है। इनमें अवश्य भाजपा के बाद सर्वाधिक सीटें सपा ने हासिल की है। तीसरे नंबर पर बसपा है। सबसे पीछे रही कांग्रेस अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गढ़ अमेठी में भी पिट गई। निर्दलीयों ने भी बड़ी संख्या में जीत दर्ज कराई है।
प्रदेश के 652 नगरीय निकायों में इस बार सभी दलों ने अपने सिंबल पर चुनाव लड़ा। 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका परिषद और 438 नगर पंचायतों में चुनाव संपन्न हुए। सिर्फ कौशांबी के भरवारी नगर पालिका परिषद में चुनाव नहीं हुआ। सभी निकायों में 11995 पार्षद/सदस्य के पदों पर भी चुनाव हुए। इनमें नगर निगम पार्षद के 1300, नगर पालिका परिषद के 5261 और नगर पंचायतों के 5434 सदस्य के पद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्षेत्र काशी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर समेत अयोध्या व मथुरा में भी भाजपा के ही महापौर जीते हैं। भाजपा 592 वार्डो में पार्षद जिताने में सफल रही। सपा के 201, बसपा के 147, कांग्रेस के 110 और 222 निर्दलीय पार्षद जीते हैं। आप के तीन, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल के 12 और रालोद के चार पार्षद जीते हैं। अमूमन शहरी क्षेत्रों में बसपा का प्रदर्शन कमजोर होता रहा है लेकिन, इस बार बसपा ने अपना प्रभाव दिखाया। सपा नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में मुकाबिल जरूर रही लेकिन, इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि उसके नेतृत्व ने इस चुनाव को गंभीरता से नहीं लिया।
- 16 नगर निगमों में 14 पर भाजपा का कब्जा, दो बसपा के खाते में
- राहुल के गढ़ अमेठी में पिट गई कांग्रेस, सपा को झटका