साभार: जागरण समाचार
दिल्ली के वायु प्रदूषण की समस्या का निदान करने के लिए सरकार अब एक नायाब उपाय करने की तैयारी कर रही है। नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने इस उपाय का प्रस्ताव किया है। इसके तहत पंजाब और
हरियाणा में खेतों में हर साल जलने वाली पराली से मेथानॉल बनाया जाएगा। साथ ही बड़े-बड़े शहरों में लैंडफिल साइटों पर जमा हो रहे कचरे से भी मेथानॉल बनाया जाएगा। इसकी शुरुआत दिल्ली से होगी।
सारस्वत ने यहां संवादाताओं से कहा कि जो पराली खेतों में जलाई जा रही है उसे रोकने के लिए मोबाइल मेथानॉल जनरेशन प्लांट्स का इस्तेमाल किया जाएगा। इन प्लांट्स की मदद से मेथानॉल बनाई जा सकेगी जिसका इस्तेमाल स्थानीय किसान डीजी सैट के लिए कर सकेंगे। दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए पराली को प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। यह मुद्दा संसद में भी उठा है। इसलिए नीति आयोग के सदस्य का यह प्रस्ताव बेहद महत्वपूर्ण है। सारस्वत ने कहा कि सरकार शहरों में लैंडफिल साइटों पर जमा कचरे से भी मेथानॉल बनाएगी। इसकी शुरुआत दिल्ली से की जाएगी। वह जल्द ही इस संबंध में दिल्ली सरकार से संपर्क करेंगे। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के प्रमुख रहे सारस्वत ने कहा कि आयोग जल्द ही ‘मिशन- मेथनॉल इकोनामी इंडिया’ के लिए एक रोडमैप को मंजूरी देने के लिए एक प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेजेगा। उन्होंने चार-पांच हजार करोड़ रुपये का मेथनॉल इकोनामी फंड बनाने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि वह सरकार से आग्रह करेंगे कि देश में व्यापक स्तर पर मेथनॉल के शोध और उत्पादन क्षमता के विकास के लिए धन आवंटित किया जाए।
भारी भरकम विदेशी मुद्रा भी बचेगी: सारस्वत ने कहा कि भारत में मेथनॉल का इस्तेमाल बढ़ाकर पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इससे भारी भरकम विदेशी मुद्रा भी बचेगी। सारस्वत ने कहा कि आगे चलकर सरकार सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में भी मेथानॉल ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ाया देगी क्योंकि यह प्रदूषणरहित ईंधन है।