साभार: जागरण समाचार
हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरएस दलाल का मानना है कि प्रद्युम्न हत्याकांड को एसआइटी ने हल्के में लिया। सीबीआइ की जांच के मुताबिक एसआइटी ने जांच में हर स्तर पर लापरवाही बरती। इससे पूरे
हरियाणा की पुलिस शर्मसार हुई है। पुलिस के ऊपर जो धब्बा लगा है उसे धोने में काफी समय लगेगा। बिना बारीकी से जांच किए बस सहायक को गिरफ्तार करने की क्या आवश्यकता थी। यह हरियाणा पुलिस के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश की पुलिस के लिए सबक है कि बिना मामले की बारीकी से जांच किए गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए।
शनिवार को दैनिक जागरण से बातचीत में आरएस दलाल ने कहा कि प्रद्युम्न हत्याकांड पर देश ही नहीं पूरे दुनिया की नजर थी। ऐसी स्थिति में एसआइटी के गठन में ध्यान देना चाहिए था। उन अधिकारियों को इसमें शामिल करना चाहिए था जो इस तरह के मामलों की जांच के विशेषज्ञ हैं। जिस तरह मामले की जांच शुरू की गई, घटना के कुछ ही घंटे बाद बस सहायक को अभियुक्त बताकर सामने ला दिया गया, फिर बार-बार यह कहा गया कि अशोक ही अभियुक्त है। यह दर्शा रहा था कि सबकुछ जल्दबाजी और दबाव में आकर किया जा रहा है। यदि टीम में विशेषज्ञ अधिकारी होते तो वे किसी दबाव में नहीं आते।
जांच को पूरी पलटना साधारण घटना नहीं है: सीबीआइ द्वारा एसआइटी की जांच को पूरी तरह से पलटना साधारण घटना नहीं है। इस तरह से पूरी एसआइटी की क्षमता पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। सीबीआइ देश की मानक जांच एजेंसी है। हर स्तर पर जांच करने के बाद ही छात्र को गिरफ्तार किया गया होगा। एसआइटी में किसी भी अधिकारी के ध्यान में यह क्यों नहीं आया कि जो छात्र घटना की जानकारी दे रहा है, वही अभियुक्त हो सकता है। जांच टीम में शामिल अधिकारी को शक करने की अदालत डालनी होगी, तभी वे विभिन्न एंगल से जांच कर सकते हैं। शक जब प्रमाणित हो जाए फिर अभियुक्त की गिरफ्तारी होनी चाहिए।
अनुसंधान के बारे में हर स्तर पर प्रशिक्षण की आवश्यकता: हरियाणा हो या किसी अन्य राज्य की पुलिस, सभी को अनुसंधान के बारे में हर स्तर पर प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। समाज में किस तरह बदला आ रहा है, बच्चों के नेचर में किस तरह बदलाव आ रहा है आदि विषयों के बारे में यदि जानकारी नहीं होगी फिर जांच बेहतर तरीके से नहीं हो सकती।