साभार: जागरण समाचार
मौसम भले ही सर्दियों का हो, लेकिन यह तय है कि हरियाणा के सरकारी कर्मचारियों को पंजाब के समान वेतनमान देने का वादा पूरा करने में सरकार के पसीने
छूटेंगे। हरियाणा सरकार अपने कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ दे चुकी है और पंजाब में अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है। फिर भी दोनों राज्यों के कर्मचारियों के वेतन में जमीन आसमान का अंतर है। हरियाणा के लिपिकीय कर्मचारियों को पंजाब की अपेक्षा करीब 13 हजार रुपये मासिक कम वेतन मिल रहा है। यह स्थिति सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद की है। बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य (एमपीएचडब्ल्यू) कर्मचारियों का वेतन करीब नौ हजार रुपये तथा पुलिस कर्मियों का वेतन लगभग दस हजार रुपये मासिक कम है। प्रदेश में इस समय नियमित कर्मचारियों की संख्या 3,38, 921 है। इनमें डेढ़ लाख कर्मचारी ऐसे हैं, जो पंजाब से कम वेतनमान हासिल कर रहे हैं। इन कर्मचारियों में सभी विभागों के लिपिक, अधीक्षक, उपाधीक्षक, सहायक अधीक्षक, सिपाही, हवलदार, एएसआइ, एसआइ, बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्यकर्मी तथा वन विभाग के कुछ श्रेणी के कर्मचारी शामिल हैं। प्रदेश सरकार ने दो दिन पहले ही सर्व कर्मचारी संघ को भरोसा दिलाया है कि पंजाब व हरियाणा के कर्मचारियों को मिलने वाले वेतनमान का आकलन कराया जाएगा। सरकार यदि यह वादा पूरा करती है तो खजाने पर करीब 1500 करोड़ रुपये सालाना का बोझ बढ़ेगा।