साभार: भास्कर समाचार
सोनीपत के खानपुर कलां स्थित भगत फूलसिंह महिला मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स की 105 पदों पर हुई भर्तियां रद्द कर दी गई हैं। भर्ती में गड़बड़ी और करप्शन को चिकित्सा शिक्षा विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी के
एफिडेविट के आधार पर स्वीकार किया है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के निर्देश पर एचसीएस अधिकारी हेमा शर्मा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जो पूरे मामले की जांच करेगी। जांच कमेटी में एडीए आरती सिंह और सीनियर अकाउंट्स ऑफिसर सुशील कुमार शर्मा को भी शामिल किया गया है। मामले में कॉलेज निदेशक पीएस गहलोत के साथ ही सलेक्शन कमेटी की भूमिका भी संदेह में है। सूत्रों के मुताबिक स्टाफ नर्स की भर्तियों में गड़बड़ियां उस समय उजागर हुईं, जब चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र दिए जाने के ठीक पहले स्क्रीनिंग कमेटी ने दस्तावेजों की जांच की थी। सोनीपत के खानपुर कलां स्थित भगत फूलसिंह महिला मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स की 105 पदों पर हुई भर्तियां रद्द कर दी गई हैं। भर्ती में गड़बड़ी और करप्शन को चिकित्सा शिक्षा विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी के
कॉलेज प्रबंधन और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने गड़बड़ी छिपाने के लिए सारी जिम्मेदारी हरियाणा नॉलेज कॉरपोरेशन पर डालने की कोशिश की। लेकिन कॉरपोरेशन की आपत्तियों के बाद जब स्वास्थ्य मंत्री तह में गए तो परतें खुलने लगीं। यहां तक स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों ने ही संयुक्त रूप से शपथ-पत्र (एफिडेविट) देकर कॉलेज निदेशक गहलोत पर भ्रष्टाचार और जानबूझकर अनियमितताएं करने के आरोप लगा दिए। स्क्रीनिंग कमेटी ने शपथ-पत्र में यह भी कहा है कि मामले में उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की कोशिश भी की गई।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के निदेश की ओर से हाल ही जारी जांच कमेटी के आदेश के मुताबिक इंटरव्यू के लिए 4 ऐसे अभ्यर्थियों को भी बुला लिया गया, जिनके नाम स्क्रीनिंग कमेटी को दी गई फाइनल सलेक्शन लिस्ट में थे ही नहीं। बाद में स्क्रीनिंग कमेटी ने इन्हें अयोग्य भी पाया। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इन 4 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए किसने और क्यों बुलाया था।
ये हैं आरोप: खानपुर मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स के 104 पदों पर भर्ती के लिए अप्रैल-मई, 2017 में समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। इन पदों के लिए करीब 8 हजार से ज्यादा आवेदन आए। मैरिट के आधार पर 104 पदों के तीन गुणा 321 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इनके इंटरव्यू 8, 9 और 10 अगस्त, 2017 तक होने थे। सफल अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच के लिए निदेशक ने स्क्रीनिंग कमेटी कागजों में तो 27 जुलाई, 2017 को ही बना दी थी, लेकिन कमेटी को आदेश इंटरव्यू वाले दिन 8 अगस्त, 2017 को ही दिए गए। डॉ. उमा गर्ग की अध्यक्षता में बनी कमेटी में मुन्नी शर्मा, सुशीला चौधरी, निहारिका, कृष्णचंद्र और देवेंद्र कुमार को शामिल किया गया था। स्क्रीनिंग कमेटी के शपथ-पत्र के मुताबिक दस्तावेजों की जांच के दौरान गड़बड़ी से तुरंत निदेशक को अवगत कराया गया, लेकिन उनकी अनदेखी की गई।
सवाल जो जवाब मांगते हैं:
- स्टाफ नर्स के 104 पदों के लिए 8000 से ज्यादा आवेदन आए थे। इनमें बुलाने के लिए 321 का चयन किसने किया था।
- इंटरव्यू के लिए चयनित 321 अभ्यर्थियों की लिस्ट में जिनका नाम ही नहीं था, उन 4 को इंटरव्यू के लिए किसने बुलाया था।
- अभ्यर्थियों के दस्तावेज जांचने की प्रक्रिया आखिर किसने पूरी की, जिसके आधार पर 321 अभ्यर्थियों की इंटरव्यू के लिए फाइनल लिस्ट तैयार हुई।
- जब स्क्रीनिंग कमेटी ने कमियां पकड़ने के साथ निदेशक को बता दी थीं तो इंटरव्यू प्रक्रिया आगे जारी रखने का क्या औचित्य था।
- इंटरव्यू हुए बिना रिजल्ट तैयार करके उसे वेबसाइट पर अपलोड क्यों किया
- स्टाफ नर्स की चयन प्रक्रिया के दौरान निदेशक के खिलाफ हुई भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की विस्तृत जांच तब क्यों नहीं कराई गई।