साभार: भास्कर समाचार
सीआईए स्टाफ वन ने केयू की नकली डीएमसी तैयार करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह के दो सदस्य पुलिस के हत्थे चढ़े हैं। जबकि दो और आरोपियों की तलाश है। जांच में केयू परीक्षा शाखा के कई
कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। आरोपियों से 30 बिना प्रिंट हुई असली डीएमसी, एक लैपटाप, प्रिंटर, नौ फर्जी मोहरें, 15 प्रोविजनल फार्म खाली, पांच रोल नंबर स्लिप, दो डुप्लीकेट डीएमसी, 20 नकली तैयार डीएमसी बरामद की हैं। आरोपियों की पहचान अम्बाला के बड़ौला निवासी संदीप कुमार और कुरुक्षेत्र के खानपुर रोडान निवासी लाभ सिंह के रूप में हुई। लाभ सिंह केयू का ही कर्मचारी है और कुछ दिनों से निलंबित चल रहा है। दोनों आरोपियों को पुलिस ने छह दिन के रिमांड पर लिया है।
सीआईए प्रभारी सतीश कुमार के मुताबिक सूचना मिली थी कि नकली डीएमसी तैयार करने वाला गिरोह आजाद नगर से अपना धंधा चला रहा है। जिस पर इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह, एसआई राजकुमार, एएसआई वीरेंद्र, पवन राणा, वीरेंद्र कुमार, ललित, हरप्रीत की टीम को तलाश में लगाया। टीम ने आजाद नगर स्थित उक्त मकान में रेड कर दोनों आरोपियों को उक्त सामान के साथ पकड़ा।
दोनों कर चुके केयू में नौकरी: संदीप केयू में आउटसोर्सिंग पर अकाउंट ब्रांच में नौकरी कर चुका है। वहीं लाभ सिंह पहले केयू में सिक्योरिटी गार्ड था। पदोन्नति के बाद वह सर्टिफिकेट सेक्शन में लगाया गया। बताया जाता है कि कुछ माह पहले टेंपरिंग के मामले में उसे सस्पेंड किया गया था। दोनों आरोपी केयू से फेल होने वाले या कंपार्टमेंट वाले विद्यार्थियों को शिकार बनाते थे। साथियों की मदद से इनसे संपर्क करते। नंबर बढ़वाने से लेकर पास कराने का जिम्मा तीन से 20 हजार रुपए तक में लेते। उसके बाद उन्हें नकली डीएमसी बना कर सौंप देते। वहीं शक की सूई केयू परीक्षा शाखा में कुछ और कर्मचारियों पर भी है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि केयू में चार आउटसोर्सिंग कर्मियों ने ही इन लोगों को उक्त 30 असल बिना प्रिंट डीएमसी मुहैया कराई थी।
दोनों कर चुके केयू में नौकरी: संदीप केयू में आउटसोर्सिंग पर अकाउंट ब्रांच में नौकरी कर चुका है। वहीं लाभ सिंह पहले केयू में सिक्योरिटी गार्ड था। पदोन्नति के बाद वह सर्टिफिकेट सेक्शन में लगाया गया। बताया जाता है कि कुछ माह पहले टेंपरिंग के मामले में उसे सस्पेंड किया गया था। दोनों आरोपी केयू से फेल होने वाले या कंपार्टमेंट वाले विद्यार्थियों को शिकार बनाते थे। साथियों की मदद से इनसे संपर्क करते। नंबर बढ़वाने से लेकर पास कराने का जिम्मा तीन से 20 हजार रुपए तक में लेते। उसके बाद उन्हें नकली डीएमसी बना कर सौंप देते। वहीं शक की सूई केयू परीक्षा शाखा में कुछ और कर्मचारियों पर भी है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि केयू में चार आउटसोर्सिंग कर्मियों ने ही इन लोगों को उक्त 30 असल बिना प्रिंट डीएमसी मुहैया कराई थी।